विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश आज समाप्त होते ही इसके स्थान पर अब 2013 का संबंधित कानून फिर से प्रभावी हो जायेगा। मोदी सरकार ने 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में कई बदलाव करते हुए गत वर्ष दिसम्बर में एक अध्यादेश जारी किया था, जिसकी मियाद दो बार बढ़ाई गई थी। सरकार संसद के बजट सत्र के पहले चरण के दौरान भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लायी थी और इसे लोकसभा में पारित कराया गया था, लेकिन विपक्ष के कड़े विरोध को देखते हुए इसे राज्यसभा में नहीं लाया गया था।
बजट सत्र के दूसरे चरण में इस विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था, जिसे मानसून सत्र की शुरूआत में अपनी रिपोर्ट देनी थी। लेकिन समिति समय पर अपनी रिपोर्ट नहीं दे पायी और उसने इसके लिये शीतकालीन सत्र की शुरूआत तक का समय ले लिया। पिछली बार जारी अध्यादेश की अवधि आज समाप्त हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल रेडियो पर अपने “मन की बात” कार्यक्रम में इस अध्यादेश को पुन: जारी नहीं करने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने कहा कि सरकार 13 अन्य कानूनों के तहत अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा भी भूमि अधिग्रहण कानून के अनुरूप देगी। श्री मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित कोई सुझाव सरकार को दिया जाता है तो वह उस पर खुले मन से विचार करेगी तथा उसे प्रस्तावित कानून में शामिल करेगी। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का लगभग सभी विपक्षी दल और सरकार में शामिल कुछ दल भी लगातार विरोध करते रहे हैं। कांग्रेस ने इसके खिलाफ देश में कई स्थानों पर प्रदर्शन भी किया।