कद्दावर नेता विजय कृष्ण, सत्येंद्र की हत्या के जुर्म में सलाखों के पीछे पहुंचे चुके हैं पर कम लोगों को पता है कि उन पर एक और हत्या का आरोप है जिसके अनुसार उन्होंने 2002 में मुन्ना सिंह की हत्या कर लाश गायब कर दी थी.
विनायक विजेता
जदयू नेता व ट्रांसपोर्टर सत्येन्द्र सिंह हत्या मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व सांसद विजय कृष्ण पर किसी एक का शाप नहीं है। सत्येन्द्र सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह और उनके परिजनों की तरह कई ऐसे और परिवार हैं जो विजय कृष्ण, उनके बेटे चाणक्य और उनके बॉडीगार्ड को लिए फांसी की सजा मिलने की मन्नते मांग रहे हैं।
ऐसा ही एक परिवार है पंडारक प्रखंड के अजगरा गांव निवासी जयनंदन सिंह का। वर्तमान में रामनगरी मोड़ के पास रहने वाले जयनंदन सिंह के बड़े पुत्र दिलीप सिंह उर्फ मुन्ना का विजय कृष्ण और उनके परिवार से घनिष्ठ संबंध था। यहां तक कि अपने मुफलिसी के दिनों में विजय कृष्ण मुन्ना की ही जिप्सी पर घूमा करते थे।
19 जृन 2002 को विजय कृष्ण की बेटी पुनम ने मुन्ना को बुलावा भेजा। पूनम अक्सर मुन्ना को बुलाया करती थी। पूनम के बुलाने पर मुन्ना अपने मौसरे भाई रौशन के साथ दोपहर डेढ़ बजे विजय कृष्ण के पुनाईचक स्थित आवास पर गया जिसे वहां पहुंचाकर रौशन वापस लौट आया पर उसके बाद मुन्ना का कोई सुराग नहीं मिला।
जब दो दिनों तक मुन्ना का कोई सुराग नहीं मिला तो थक हारकर मुन्ना की मां शांति देवी ने विजय कृष्ण, उनकी पुत्री पूनम पर मुन्ना को अपृह्त कर उसे गायब कर देने से संबंधित एक प्राथमिकी (422/02) शास्त्रीनगर थाने में दर्ज करायी।
चूंकि उस वक्त विजय कृष्ण सत्तारुढ़ राजद के एक प्रभावशाली नेता थे अत: पुलिस ने दिलीप उर्फ मुन्ना मामले की फाइल क्लोज कर दी। मई 2009 में जब सत्येन्द्र सिंह का मामला सामने आया तो मुन्ना के पिता जयनंदन सिंह को यह विश्वास हो चला कि सत्येन्द्र सिंह की तरह उनके बेटे को भी घर में बुलाकर उसकी हत्या कर लाश गायब कर दी गई।
तब मुन्ना की मां शांति देवी ने पटना के तत्कालीन डीआईजी जे एस गंगवार को एक आवेदन देकर उनके द्वारा शास्त्रीनगर थाने में दायर मुकदमें को री-ओपेन करा जांच की मांग की। डीआईजी को दिए आवेदन में शांति देवी ने लिखा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सत्येन्द्र सिंह की तरह उनके बेटे की भी हत्या कर लाश गायब कर दी गई जिस हत्या में विजय कृष्ण, उनकी बेटी पूनम, बेटा चाणक्य और उनका अंगरक्षक उमेश सिंह शामिल है।
पर तब भी पटना पुलिस ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। तब थक हारकर जयनंदन सिंह और उनका परिवार ईश्वर पर यह भरोसा कर बैठ गया कि पापियों को कभी न तो कभी सजा मिलेगी ही। सत्येन्द्र सिंह हत्याकांड में जब अदालत ने पूर्व सांसद, उनके बेटे और अंगरक्षक को दोषी करार दिया उस दिन से ही यह परिवार भगवान से इन सभी को फांसी की सजा मिलने की मन्नते मांग रहे हैं।
तीन बच्चों के पिता दिलीप उर्फ मुन् ना की पत्नी संगीता देवी जिसके आंसू कभी सूखे नहीं सहित पूरा परिवार घर के प्रांगन में खड़ी जर्जर हो चुकी दिलीप की मारुति जिप्सी में ही दिलीप का अख्स तलाश संतोष कर रहा है। इसी तरह का एक अन्य परिवार है पुनपुन के दौलतपुर पिपरिया गांव के निवासी रहे धन्नजय सिंह का परिवार। 33 वर्षीय शादीशुदा धन्नंजय के भी विजय कृष्ण और उनके परिवार से प्रगाढ़ संबंध थे। धन्नंजय की भी विजय कृष्ण के सरकार आवास में रहस्यमय परिस्थिति में मौत हो गई थी जिसकी लाश को आनन-फानन में जला दिया गया और धनंजय के परिजनों को यह कहा गया कि गिरने से लगी माथे में गंभीर चोट के कारण उसकी मौत हो गई। हालांकि धन्नंजय के परिजनों ने तब विजय कृष्ण के दवाब में कोई पा्रथमिकी दर्ज नहीं कराई उसकी मौत का दर्द उन्हें सालता रहा। धन्नंजय की पत्नी को अब भी विश्वास है कि उसके पति की मौत के पीछे विजय कृष्ण की बेटी पूनम और बॉडीगार्ड उमेश सिंह का हाथ था।