भूटान में भारत के राजदूत पवन कुमार वर्मा ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है. खबर है कि वह जल्द जनता दल यू में शामिल होकर अपने करियर की नई शुरूआत करेंगे. बताया जाता है कि वर्मा पिछले कुछ सालों से नीतीश के काफी निकट रहे हैं.
वर्मा ने, बताया जाता है कि पिछले दिनों अधिकार रैली के दौरान पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी.
उन्होंने पिछले दिनों टेलिग्राफ से बातचीत करते हुए कहा भी था कि ‘सुशासन और स्वच्छ राजनीती में मेरा पक्का विशावास रहा है और इसलिए मैं स्वाभाविक रूप से नतीश जी की राजनतीति को पसंद करता हूं’.
इधर जद यू सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में वर्मा नीतीश कुमार की टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं.
पवन 1976 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, भारतीय सांस्कृतिक संबंद्ध परिष्द के प्रमुख के पदों पर काम कर चुके हैं.
उन्होंने कई पुस्तकें लिखने के अलावा उर्दू और हिंदी की कई कविता संग्रहों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है. कैफी आजमी और गुलजार की नज्मों का जहां उन्होंने अनुवाद किया है वहीं अटलबिहारी वाजपेयी कि कविता संग्रह का बी अनुवाद किया है.
पवन ने उर्दू और फारसी के विख्यात शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी भी लिखी है जो काफी चर्चित रही है.इसके अलावा इनकी दो महत्वपूर्ण पुस्तकें बेस्ट सेलर रह चुकी हैं. इनमें द ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास और बीइंग इंडियन- द ट्रूथ व्हाई द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी विल बी इंडियास शामिल हैं.
नीतीश कुमार की टीम में इससे पहले भी कई नौकरशाह शामलि हो चुके हैं. इससे पहले पूर्व वित्त सचिव एनके सिंह और आरसीपी सिहं भी जनता दल यू में शामिल किये जा चुके हैं. वर्मा पहले ऐसे नौकरशाह हैं जो बिहार से नहीं हैं. ऐसे में यह सवाल काफी अहम है कि नतीश, जिनकी राजनतीति बिहार पर केंद्रित रही है, वर्मा को अपनी पार्टी में सामिल करके अपनी कौन सी रणनीति साधना चाहते हैं? कुछ लोगों को मानना है कि नीतीश, वर्मा के माध्ययम से अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचना को और मजबूत करना चाहते हैं.
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