अब धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा है कि बिहार की प्रशासनिक सत्ता दो केंद्रों से संचालित हो रही है और फिलहाल दोनों केंद्रों में समन्वय बना हुआ है। एक का आधिकारिक केंद्र मुख्यमंत्री का सरकारी आवास एक अण्णे मार्ग है, जबकि सत्ता का वास्तविक केंद्र सात, सर्कुलर रोड है, जो पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सरकारी आवास है। सकुर्लर रोड की ओर खुलने वाला मुख्यमंत्री आवास के पीछे का गेट और नीतीश कुमार के आवासीय गेट लगभग आमने-सामने है। बीच में फासला रोड की चौड़ाई भर की है।
बिहार ब्यूरो
मुख्यमंत्री सचिवालय और आवासीय कार्यालय में अधिकारियों का पदस्थापन लगभग वही है, जो नीतीश कुमार के कार्यकाल में था। मुख्यमंत्री के आप्त सचिव ही बदले गए हैं, जिसमें एक दुर्गेश नंदन हैं और दूसरे परितोष कुमार हैं। दोनों बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वरीय अधिकारियों में नीतीश काल के प्रधान सचिव मुख्य सचिव बन गए, जबकि उनकी जगह पर दीपक कुमार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव बनाए गए हैं।
सूत्रों की मानें तो वरीय अधिकारी आज भी सात नंबर के प्रति ज्यादा वफादार हैं। प्रधान सचिव दीपक कुमार भी फाइलों पर परामर्श के लिए सात नंबर में जाते हैं। नीतीश कुमार जरूरत पड़ने पर फाइलों पर नोट भी लिखते हैं और उनके निर्देश व नोट के आलोक फिर नया नोट बनता है। मुख्य सचिव भी सीएम के बजाय नीतीश कुमार के साथ ही परामर्श करते हैं। बताया जाता है कि प्रशासनिक फेरबदल पर अंतिम मुहर भी सात नंबर में ही लगती है। मुख्यमंत्री के अधीन विभागों पर सीधा नियंत्रण सात नंबर का ही होता है। कैबिनेट की बैठक के पहले प्रस्ताव पर सहमति सात नंबर से ली जाती है।
हालांकि मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस हस्तक्षेप को सामान्य प्रक्रिया के रूप मानते हैं। वह नीतीश कुमार के अहसान से उबर नहीं पाए हैं। लेकिन कानूनी रूप से वह अपने अधिकारियों की अनदेखी भी नहीं कर सकते हैं। इस कारण कई बार एक नंबर व सात नंबर के बीच टकराव की नौबत भी आ जाती है, लेकिन आखिर होता वही है, जो सात नंबर चाहता है।