मुख्यमंत्री कार्यालय में अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों एक और सात नंबर के बीच उलझ गये हैं। सड़क पार करने में ही इनका ज्यादा समय गुजरता है। इस कार्यालय से उस कार्यालय में भागने में ही दम फुल रहा है।
नौकरशाही ब्यूरो
मुख्यमंत्री का सरकारी आवास एक नंबर अणे मार्ग है और मुख्यमंत्री का कार्यालय भी इसी में है। जनता दरबार भी इसी में लगता है। इसके साथ ही संकल्प और विमर्श नाम से दो कार्यालय भी संचालित होता है। संकल्प में आइएएस स्तर के अधिकारी बैठते हैं, जबकि विमर्श में बिहार प्रशासनिक सेवा और सूचना सेवा के अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था है। इसी के एक हिस्से में मुख्यमंत्री का आवास है। नीतीश कुमार इस आवास में नहीं जाएंगे, इसकी घोषणा पहले की जा चुकी है।
सात सर्कुलर रोड नीतीश कुमार का आवास है। यह आवास उन्हें पूर्व सीएम के रूप में आवंटित किया गया था। सीएम नीतीश कुमार ने इसी आवास में रहने का निर्णय लिया है। यहां भी नीतीश कुमार ने अपना एक कार्यालय बनवाया है। अधिकारियों के साथ बैठक, अतिथियों से मिलने-जुलने का काम इसी में होता है। नीतीश कुमार सत्ता संभालने के बाद सिर्फ एक बार एक अणे मार्ग में गए थे, वह भी जनता दरबार में। एक और सात नंबर के बीच दूरी लगभग 40 मीटर की होगी। सिर्फ रोड पार करने का अंतर है। लेकिन आवासों के बीच संतुलन बनाए रखना अधिकारियों के लिए भारी पड़ता है। साहब का कब बुलाया जा जाए, इससे लोग परेशान रहते हैं। दौड़ लगाना नियति बन गयी है। इससे अधिकारियों के कामकाज पर भी असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है।