दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में इतिहासकारों और पत्रकारों ने देश के बिगड़ते माहौल को लेकर ‘प्रतिरोध’ कार्यक्रम का आयोजन किया.
ये लेखक, कलाकार, चिंतक और शिक्षाविद रविवार को यहां लोकतंत्र और समग्र संस्कृति पर हमले के कारण को लेकर प्रतिरोध सभा में एकत्र हुए थे।
इसमें इतिहासकार इरफ़ान हबीब, रोमिला थापर, कवि अशोक वाजपेयेयी व पत्रकार ओम थानवी समेत अनेक नामी हस्तियों ने भाग लिया.
विरोध करने वाले प्रमुख लोगों में इतिहासकार रोमिला थापर और इरफान हबीब के साथ ही प्रसिद्ध कवि अशोक वाजपेयी शामिल रहे। इस दौरान इतिहासकार इरफान हबीब ने आरएसएस की तुलना आईएसआईएस से की। लेखकों और कलाकारों ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की उस टिप्पणी का विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा था कि असहिष्णुता को लेकर किया जा रहा विरोध बनावटी है.
इस अवसर पर सवाल उठायाया गया कि राष्ट्रपति, कई उद्योगपति, यहां तक कि आम लोग भी बढ़ती असहिष्णुता को लेकर चिंता जता रहे हैं. इस दौरान दिवंगत तर्कवादी एमएम कलबुर्गी, गोविंद पनसारे और नरेंद्र दाभोलकर को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। हबीब ने कहा कि बुद्धि से दूरी को लेकर आरएसएस और इस्लामिक स्टेट (आईएस) में ज्यादा अंतर नहीं है।
Romila Thapar, pic by Mukul Dubey