ठीक उस दिन, जिस दिन नीतीश कुमार ने दलित समुदाय के जीतन राम मांझी को बिहार की बागडोर सौंपने की घोषणा की, वैशाली की एक पंचायत ने एक दलित परिवार को गांव से निकालने का फरमान जारी कर दिया.
इस परिवार के एक लड़के पर आरोप था कि उसने गांव के अवधेश सिंह के 8 वर्षीय पुत्र को अपने साथ ले गया और पोखर में नहाने के क्रम में वह डूब गया. इस मामले को पंचायत ने हत्या माना और सजा सुनायी कि वैशाली के हसनपुर ओस्ती के हरिवंश राम गांव छोड़ कर बाहर चले जायें और उनकी मात्र तीन कट्ठे जमीन को जुर्माना स्वरूप अवधेश सिंह के हवाले कर दिया जाये.
एक तरफ मुसहर जाति, जो दलितों में सबसे पिछड़ी मानी जाती है का एक नेता बिहार की सत्ता संभालता है वहीं एक दलित परिवार को गांवा बदर करने की सजा सुनायी जाती है.
पंचों के इस फैसले के बाद पूरा परिवार सकते में है. 18 मई को गांव के अवधेश सिंह के आठ वर्षीय पुत्र बिरजू का शव पोखरे में मिला था. वह अपने दोस्तों के साथ पोखरे में नहाने गया था. अवधेश ने हरिवंश राम के पुत्र सुधीर व धीरज पर बिरजू की डूबोकर हत्या करने का आरोप लगाया था. हालांकि गांव के लोगों का कहना है, कि पोखरे के गहरे पानी में डूबने से बिरजू की मौत हुई थी.
इस मामले के निपटारे के लिए आयोजित पंचायत में मुखिया पति सुरेश सिंह, सरपंच युगल किशोर राय, पूर्व उपमुखिया विजय कुमार व अन्य ग्रामीणों की उपस्थिति में यह फैसला लिया गया.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी नहीं है. हालांकि महुआ एसडीपीओ प्रीतेश कुमार ने पीडि़तों द्वारा शिकायत करने पर उचित कार्रवाई की बात कही है.