पुणे के हेमंत खाड़े ने सिर्फ इसलिए नकली आईपीएस बनने की ठानी क्योंकि उसे थाने से दुत्कार कर भगा दिया गया था. लेकिन अब वह सलाखों के पीछे है. पढ़ें इस नकली आईपीएस की असली कहानी
बीबीसी में देवदास देशपांडेय की रिपोर्ट के अनुसार हेमंत कई सालों तक पुलिस अधिकारी बनकर धोखा देता रहा. लेकिन अब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
फेसबुक पर ख़ुद को भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी बताते हुए उस व्यक्ति ने अकाउंट बनाया. इसके बाद आम लोगों के साथ-साथ आईपीएस अधिकारी भी उनके दोस्तों की सूची में शामिल हो गए.
पुलिस ने बताया कि इस व्यक्ति ने नकली आइपीएस अधिकारी बनकर महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में पुलिसवालों से अपनी आवभगत कराई. कुछ कार्यक्रमों में छात्रों का मार्गदर्शन भी किया.
ऐसे ही एक मार्गदर्शन सत्र में उसकी पोल खुल गई.
पिछले साल आई हिंदी फ़िल्म ‘स्पेशल 26’ की याद दिलाने वाली यह कहानी है पुणे के पास स्थित आलंदी गांव के निवासी 25 साल के हनुमंत उर्फ हेमंत खाड़े की.
हेमंत खाड़े ने ख़ुद को मिजोरम में कार्यरत आईपीएस अधिकारी बताते हुए दो साल पहले फ़ेसबुक अकाउंट खोला. अकाउंट पर पुलिस का चिन्ह लगा देखकर उनके फ्रेंडलिस्ट में दस से अधिक असली आईपीएस अधिकारी शामिल हो गए.
ऐसे खुला भेद
हेमंत की ख्याति धीरे-धीरे बढ़ती गई. राज्य के कई जगहों से उन्हें छात्रों के मार्गदर्शन का न्योता मिलने लगा. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के सामने उन्होंने ख़ुद को कठिन परिश्रम के बल पर आइपीएस बनने वाले व्यक्ति के रूप में पेश किया.
साल 2010 में आलंदी में सांसद और विधायकों की मौज़ूदगी में उनका सम्मान हुआ. आलंदी गांव में संत ज्ञानेश्वर की समाधि है. खाड़े के पिता वहां कीर्तन गाते हैं.
दो साल तक पुलिस और लोगों को छलने के बाद उनकी सच्चाई एक समारोह में सामने आ गई.
पांच फरवरी को जलगांव की ‘दीपस्तंभ’ नामक संस्था के एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें पहचान लिया गया. ये संस्था आर्थिक रुप से कमज़ोर वर्ग के लोगों को सम्मानित करती है जिन्होंने बाधाओं के बावजूद कोई मुकाम हासिल किया है.
खाड़े को वहां व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था. कार्यक्रम में सहायक पुलिस निरीक्षक विश्वजीत काईंगडे भी उपस्थित थे. इसी कार्यक्रम में उप अधीक्षक वाईडी पाटील को हाल ही में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुने जाने पर दीपस्तंभ ने हेमंत खाड़े के हाथों उनका सम्मान करवाया.
आधे घंटे तक चले इस व्याख्यान में खाड़े की कुछ बातें विश्वजीत काईंगडे को अटपटी लगीं. इस पर उन्होंने खाडे से पूछताछ शुरू की. खाडे ने उन्हें बताया कि वे 2010 बैच के आईपीएस हैं.
इसी बैच में पाचोरा अपर पुलिस अधीक्षक बसवराज तेली भी थे. काईंगडे ने खाडे के बारे में पूछा. इस पर बसवराज ने ऐसे किसी व्यक्ति की जानकारी होने से इनकार किया.
इसके बाद खाडे को पुलिस थाने ले जाकर पूछताछ की गई. वहां उन्होंने अपनी पूरी कहानी बताई.
सम्मान की खातिर
जलगांव के जिला पुलिस अधीक्षक एस जयकुमार के मुताबिक़, “खाड़े ख़ुद के अलावा रुचिता देशमुख के नाम से एक नकली महिला आईपीएस अधिकारी का भी फेसबुक अकाउंट चलाता था. रुचिता को पश्चिम बंगाल कॉडर का अधिकारी बताया गया था. इसी अकाउंट से दीपस्तंभ को खाड़े का नंबर दिया गया था.”
उन्होंने बताया, ”खाड़े का कहना है कि यह सब उन्होंने पैसों के लिए नहीं बल्कि मान-सम्मान के लिए किया. खाड़े पर धोखाधड़ी के अलावा सूचना तकनीक क़ानून के तहत भी कार्रवाई की जाएगी.”
पुलिस के अनुसार ये तीसरी घटना थी. इससे पहले उन्होंने पुणे और औरंगाबाद में भी नौजवानों को प्रोत्साहित करने के लिए भाषण दिए थे.
पुलिस पूछताछ में खाड़े ने बताया कि कुछ साल पहले मोबाइल फ़ोन खोने की शिकायत दर्ज कराने वो क्लिक करें पुणे के भोसरी पुलिस थाने में गए थे. वहां पुलिसवालों ने उनकी शिकायत दर्ज करने की जगह उन्हें दुत्कार कर भगा दिया.
पुलिस को दिए बयान में खाड़े ने कहा है कि जब वे मोबाइल की चोरी का केस दर्ज कराने थाने गए थे तब उनकी उम्र 17 साल थी और अभी वे 25 साल के हैं.
पुणे पुलिस ने कहा है कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
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