अरुण कुमार सिंह, शिक्षक

पटना।  जब रिजल्ट पर इतनी सारी बहसें हो रही हैं तो वैसे में एक शिक्षक के कुछ सवाल सुनिये और समझिये. उनके सवाल आपको भी कचोटेंगे. नौकरशाही के लिए पावापुरी, नालंदा के निवासी अरुण कुमार सिंह ने यह खास लेख लिखा है. वे अभी झारखंड के सिमडेगा में शिक्षक हैं.

अरुण कुमार सिंह, शिक्षक

मैं स्वयं एक शिक्षक हूं. मैं ये नहीं कहता हुूं कि सारे पास कर जायें, परंतु एक बात पूछना चाहता हूं. मंथन तो करना ही पड़ेगा ही न कि कौन-कौन से कारण थे इतने घटिया रिजल्ट के? अब इन सवालों को देखिये और खुद से पूछिए-
1. क्या हमारे बच्चे मे पढ़ने की प्रवृत्ति समाप्त हो गई है?
2.क्या मां-बाप अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं?
3. क्या बच्चे पढाई छोड़कर दूर-संचार की दुनिया में खो गये हैं?
4. क्या विद्यालय मे विषय के मुताबिक शिक्षक हैं?
5. क्या विद्यालय में योग्य शिक्षक हैं?
6. क्या शिक्षक बच्चों एवं विद्यालय के प्रति जागरूक एवं जवाबदेह हैं?
7. क्या विद्यालय में यूनिट के अनुसार शिक्षक हैं?
8. क्या विद्यालय में सारे आवश्यक तत्व मौजूद हैं? यथा-पुस्तकें, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, प्रयोग हेतू सारे आवश्यक सामग्री आदि।
9. क्या विद्यालय को सारे ग्रामीण अपना समझते हैं?
10. क्या विद्यालय का प्रबंधन समिति जागरुक है?
11. क्या मूलयांकन करने वाले शिक्षकों ने ईमानदारी से कभी बच्चों की पढाई करवाई?
12. क्या मूलयांकन योग्य शिक्षकों से करवाया गया है?
13. क्या यह मूलयांकन भी जांच के दायरे में नहीं आता है?
14. या अंत मे कहूं, क्या परीक्षा मे चोरी नहीं चली?
….मैं पास फेल की बात नहीं कर रहा हूं. मै सिस्टम की बात कर रहा हूं. माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का मैं बहुत आदर करता हुं, परंतु एक बात कहने से नहीं हिचकूंगा कि जब तक प्राथमिक स्तर में योग्य शिक्षक नहीं होंगे शिक्षा का यही हाल होगा. मुखिया जी को शिक्षक चुनने का अधिकार दे दिया हालत आपने देख लिया. जड़ बिल्कुल समाप्त हो गयी है प्राथमिक शिक्षा की. एक छोटी सी कहानी सुनिये- एक विद्वान व्यक्ति एम ए पीएच डी किया हुआ व्यक्ति एक महाविद्यालय मे नौकरी के लिये इंटरव्यू देने गया. इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति मैट्रिक पास था परंतु धन एवं रुतवा के कारण उस महाविद्यालय का  सर्वे-सर्वा बना हुआ था. उसने उस विद्वान व्यक्ति से एक प्रश्न पूछा- बताइये प्रजातंत्र के क्या क्या दोष है? विद्वान व्यक्ति मुस्कुराते हुये बोला जाने दिजिये मै जानता हूं लेकिन उत्तर नहीं दे सकता हूं.

 

अगर मै उत्तर दे दूंगा तो आप नाराज हो जायेंगे लेकिन उन्हें उत्तर देने के लिये मजबूर किया तो उन्होंने कहा कि इससे बडा और प्रजातंत्र का क्या दोष हो सकता है कि इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति मैट्रिक पास हो और एम ए पीएच डी पढा़ लिखा व्यक्ति का इंटरव्यू ले रहा है.  यही हाल आजकल विद्यालय का हो गया है जिसका खमिजयाना बच्चों को भुगतना पड़  रहा  है. एक बात और है जबतक सरकारी विद्यालय की व्यवस्था आप नहीं सुधारोगे, उस पर विश्वास नहीं  करोगे बच्चे फेल होते रहेंगे और समाज मे लूट अपराध बढ़ता रहेगा. व्यवस्था सुधारिये मुख्यमंत्री जी. हम हताश भले हैं लेकिन निराश नहीं  हैं.
अरुण कुमार सिंह,
पावापुरी, नालंदा

By Editor


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