आप जब शक्ति और उन्माद के अहंकार के मद में डूबे होते हैं तो आपके शब्दों से भी आपका अहंकार छलकता रहता है. पिछले चार सालों से भाजपा अहंकार के इसी नशे में डूबा आचरण पेश करती रही.
आप जब शक्ति और उन्माद के अहंकार के मद में डूबे होते हैं तो आपके शब्दों से भी आपका अहंकार छलकता रहता है. पिछले चार सालों से भाजपा अहंकार के इसी नशे में डूबा आचरण पेश करती रही.
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम[/author]
नतीजा यह हुआ कि उसे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की जनता ने उसे अपने राज्यों से मुक्ति दे दी.
2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा ने सत्ता के अहंकार में सारे उसूलों की तिलांजलि दे दी थी. हर नैतिक-अनैतिक कर्म के सहारे वह सत्ता हासिल कर लेना ही अपना लक्ष्य मान चुकी थी. पार्टी के अध्यक्ष से ले कर आम कार्यकर्ता और यहां तक कि समर्थक भी अहंकार में डूबे हुए थे.
संस्थानों और सरकारों पर जबरन कब्जा
भाजपा के इसी अहंकार ने उसे उन राज्यों में भी जबरन सरकार औऱ सत्ता पर कब्जा करने को उकसाया जहां वह पूर्ण बहुमत तो छोड़िये दूसरी बड़ी पार्टी बन सकी थी. इसी का उदाहरण गोआ था, जहां कांग्रेस उससे बड़ी पार्टी होते हुए भी उसने उसे सरकार बनाने नहीं दिया. मेघालय में यही हुआ. वहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी लेकिन गवर्नर ने सरकार बनाने के उसके दावे को खारिज कर दिया.
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सिर्फ यही नहीं कि कम संख्या बल के आधार पर ही भाजपा ने सरकार बनाई, बल्कि हमाचल प्रदेश में उसने जबरन राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए यहां तक कहा था कि राष्ट्रपति कोई बादशाह नहीं हैं कि उनकी बात मान लिया जाये. और यह कहते हुए वहां से राष्ट्रपति शासन को अदालत ने निरस्त किया था.
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दर असल भाजपा शक्ति के मद में चूर हो गयी थी. उसका एक मात्र लक्ष्य था कि देश को कांग्रेसमुक्त करना है, लेकिन वह हर बार यह नजरअंदाज करती रही कि लोकतंत्र में जनसमर्थन को धता बता कर आप संस्थानों और सरकारों पर कब्जा करने का सपना नहीं पाल सकते.
अब आते हैं आज सम्पन्न हुए पांच राज्यों- राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मेजोरम के चुनाव नतीजों पर.
इन पांच राज्यों से सफाया
इन पांच में से तीन- राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हुक्मरानी थी. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो वहां की जनता ने भाजपा के अहंकार को धो डाला और उसे सत्ता से बेदखल कर डाला. मध्यप्रेदश में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि उसने कांग्रेस को भारी टक्कर दी है. लेकिन सत्ता से दूर है और इसकी कोई गुंजाइश नहीं कि कांग्रेस की सरकार वहां भी ना बने.
आदित्यनाथ योगी ने अहंकार की हदों को पार कर दिया था. उन्होंने अपने अहंकार में एक बड़ा झूठ भी बोला था और यहां तक कहा था कि 1947 में जिस तरह हैदराबाद के निजाम को भारत छोड़ कर भागना पड़ा था, उसी तरह औवैसी को भी भागना पडेगा. हालांकि योगी को शायद यह मालूम था कि निजाम हैदराबाद भारत में ही रहे और भारत सरकार को इतने सोने के जेवरात दान दिये उतना आज तक किसी व्यक्ति ने भारत को दान नहीं दिया. तेलंगाना की जनता ने योगी के इस अहंकार को मिट्टी में मिलाते हुए खुद भाजपा को तेलंगाना से सूपड़ा साफ करके भगा दिया
जहां तक तेलंगाना की बात है. तेलंगाना में आदित्यनाथ योगी ने अहंकार की हदों को पार कर दिया था. उन्होंने अपने अहंकार में एक बड़ा झूठ भी बोला था और यहां तक कहा था कि 1947 में जिस तरह हैदराबाद के निजाम को भारत छोड़ कर भागना पड़ा था, उसी तरह औवैसी को भी भागना पडेगा. हालांकि योगी को शायद यह मालूम था कि निजाम हैदराबाद भारत में ही रहे और भारत सरकार को इतने सोने के जेवरात दान दिये उतना आज तक किसी व्यक्ति ने भारत को दान नहीं दिया. तेलंगाना की जनता ने योगी के इस अहंकार को मिट्टी में मिलाते हुए खुद भाजपा को तेलंगाना से सूपड़ा साफ करके भगा दिया. तलंगाना में जहां पिछले विधान सभा में 5 सीटें मिली थी वहीं इस बार शायद एक भी न मिल पाये( हालांकि एक सीट पर उसकी बढ़त दिख रही है).
भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह अब खुद अपनी पार्टी के अंदर से दबाव में आ गये हैं. अब वह अपने भाषणों में भूल कर भी कांग्रेसमुक्त भारत शब्द का शायद ही इस्तेमाल कर पायेंगे.