महिला पुलिस विद्रोह का यह है कारण- तो कितना कुरूप है पुरुष नौकरशाहों का चेहरा
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम[/author]
शायद बिहार में नयी महिला पुलिस रंगरूटों का ऐसा विद्रोह पहले कभी नहीं हुआ होगा. जब घंटों इन रंगरूटों ने उत्पात मचाया और देखते ही देखते उनके हिंसक आंदोलन का हिस्सा उनके पुलिस सहकर्मी भी बन गये. दारोगा, मुंशी और यहां तक कि डीएसपी रैंक के अफसरों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने का साहस अगर अदन सिपाहियों की टोली ने किया तो इसके लिए उन्हें ऐसे ही साहस नहीं मिल गया होगा. इसके पीछे एक शांत ज्वाला रहा होगा जो समय आते ही भभक पड़ा. इस पूरे मामले का सार यह है कि सविता नामक एक महिला पुलिसकर्मी की मौत हो गयी. वह बीमार थी. उसने कई बार छुट्टी की अर्जी दी लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया. इलाज के दौरान लगातार 12-14 घंटे काम करना कितना जोखिम भरा रहा होगा यह कोई भी समझ सकता है. और इसी जोखिम ने उसकी जान ले ली.
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मामला इतना ही नहीं. अब जो कहानियां सामने आ रही हैं उससे यह साफ होता जा रहा है कि बिहार पुलिस में महिलाओं का यौनशोषण भी इस विद्रोह का बड़ा कारण है. इस संबंध में कुछ और कहने से पहले यह याद दिलाना जरूरी है कि नीतीश सरकार ने बीते पांच वर्ष पहले बिहार पुलिस में 35 प्रतिशत महिला आरक्षण की घोषणा की थी. लिहाजा बीते दिनों में हजारों महिलाओं की नियुक्ति पुलिस बल में हुई.
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इन्हें प्रशिक्षण दिया गया और तमाम जिलों में तैनाती दी गयी. पिछले कुछ सालों में तमाम थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ी तो इसके समानांतर कई किस्से भी सामने आने लगे. महिलाकर्मियों के यौन शोषण की बातें भले ही मीडिया में नहीं आ पा रही थीं लेकिन सच्चाई है कि इस तरह के शोषण की कहानियां कानोंकान लोगों तक पहुंच रही थीं.
अब पानी सिर से ऊपर उठा तो सारी तहें खुलने लगी हैं. एक अखबार को दिये इंटर्व्यू में एक महिला पुलिस कर्मी ने दावा करते हुए कहा है कि “सविता मेरी सबसे करीबी दोस्त थी। चार दिन पहले उसका मेरे पास फोन आया था। उसने कहा था कि यार तबियत बहुत खराब है। काम करने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैंने उससे कहा कि छुट्टी ले लो। वो बोली, तुम्हे तो पुलिस लाइन की हालत पता ही है। यहां जब भी कोई छुट्टी मांगता है तो मुन्ना मुंशी उससे पहले उसका वीडियो और फोटो मांगते हैं। तुम्हें तो याद ही होगा कि एक महीने पहले भी मुझे टायफाइड हो गया था तब भी छुट्टी मांगने पर उसे कहा था पहले अपना वीडियो और फोटो दो। तब छुट्टी के बारे में सोचना। तबियत इतनी खराब थी की मुझे मजबूरी में अपना वीडियो बनाना पड़ा”.
हम महिलाओं के प्रति समानता और सम्मान की बात करते हैं. पर पुरुष वर्चस्व की मानसिकता हमारे सिस्टम में कितनी घिनौनी है यह समझा जा सकता है. पटना में हुए पुलिस विद्रोह को इसी आईने में देखने की जरूरत है.