राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने परापन्ना अग्रहारा बैंगलोर केंद्रीय कारागार में 32 कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजी),जेल को आज नोटिस जारी करते हुए उन्हें इस बारे में एक माह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
आयोग ने ज्ञापन के जरिये इस बात की जानकारी दी। आयोग ने कहा कि यदि कैदियों को शारीरिक यातना और घायल अवस्था में उन्हें रातोंरात अन्य जेल में स्थानान्तरित करने की बात सच है तो यह उनके जीवन और गरिमा के अधिकारों का उल्लंघन है जो एक गंभीर मसला है। एनएचआरसी ने कहा कि इसे पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है कि न्यायिक हिरासत में रहने वाला एक कैदी राज्य का दास नहीं है और अपने सभी मौलिक अधिकारों को छोड़ नहीं देता है।
कैदियों के साथ कथित अमानवीय व्यवहार तब हुआ जब वे जेल के दौरे पर आयीं पुलिस उप महानिरीक्षक,जेल डी रूपा से उन्हें बातचीत नहीं करने दिया गया। इसके विरोध में कैदी जेल परिसर में ही धरना पर बैठ गये। एनएचआरसी ने कहा कि डी रूपा ने बैंगलोर केंद्रीय कारागार में चल रही गंभीर अनियमितताओं को उठाया था। इसमें जेल में बंद अन्नाद्रमुक (अम्मा) नेता शशिकला को विशेष और अत्याधुनिक कीचेन उपलब्ध कराना और एक अन्य कैदी अब्दुल करीम लाला तेलगी को वीआईपी सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है। जांच अधिकारी के सामने मामला खुल ना जाए इसे ध्यान में रखते हुए 32 कैदियों को आनन-फानन में दूसरी जेल में स्थानान्तरित कर दिया गया था।