जोकीहाट विधान सभा उपचुनाव में हार के बाद एनडीए के संबंधों में ‘आग’ लग गयी थी। जदयू केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर ही सवाल उठाने लगा था। उपलब्धियों का हिसाब भी मांगने लगा था। जोकीहाट के बाद जदयू पर हमला भाजपा को करना चाहिए। उल्टे जदयू ही हमलावर हो गया। इसी दौर में रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा ने भी सीट के बंटवारे को मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमला तेज कर दिया। स्थिति यह हो गयी है कि जदयू, रालोसपा और लोजपा लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की संख्या गिना रहे हैं और भाजपा सीटों के बंटवारे पर चुप है।
वीरेंद्र यादव
2019 में चुनाव लोकसभा का होना है। चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख और प्रतिष्ठा दांव पर होगी। उनके ही नाम पर भाजपा चुनाव लड़ेगी। वैसी स्थिति में भाजपा सहयोगी दलों से ‘गलथेथरी’ के बजाय ‘मनुहार’ की रणनीति अपना रही है। उसी क्रम में आज भाजपा ने ज्ञान भवन में भोज का आयोजन किया था। यह भोज मुख्यतया जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार के सम्मान में आयोजित किया गया था। इसका आयोजन भाजपा ने किया था, ताकि भोज के ‘पानी’ से असंतोष की आग को बुझाया जा सके। इस भोज में भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी समेत एनडीए के सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। रामविलास अपने पूरे कुनबे के साथ शामिल हुए।
लेकिन सवाल यह है कि क्या भोज खाने के बाद भाजपा के सहयोगी दल चुप बैठ जाएंगे। इसकी गुंजाईश कम दिखती है। चुनावी वर्ष में कार्यकर्ता को ‘रिचार्ज’ करने के लिए भी पार्टियां अनावश्यक दावा और विवाद खड़ा करती रहती हैं। इन विवादों पर विराम के लिए भोज का भी आयोजन किया जाता है। लेकिन राशन और भाषण का दौर अभी थमा नहीं दिख रहा है। भाजपा अभी बचाव की मुद्रा में है। अपनी ओर से वह कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहती है और सहयोगियों के दावों पर दो-टूक बोलने का जोखिम भी नहीं ले सकती है। वैसी स्थिति में रोज-रोज नये-नये दावे सामने आएंगे और भाजपा गोल-गोल जवाब देकर विवाद को थामने का प्रयास करेगी। यानी आप अभी और भाजपाई भोज की उम्मीद कर सकते हैं।