सत्ता से हटने और सत्ता में लौटने के बीच सीएम नीतीश कुमार पूरी तरह बदल गए हैं। सत्ता हाथ से निकलने की बेचैनी ने नीतीश कुमार को पूरी तरह से झकझोर दिया है। इसी बेचैनी ने नीतीश कुमार को बदल दिया है। पहले उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने को अपनी गलती मानी और अब माफी मांग रहे हैं। और अगली माफी के लिए उन्होंने जमीन बनाने की शुरुआत कर दी है।
वीरेंद्र यादव
अगली माफी वह भाजपा से दोस्ती तोड़ने के लिए मांगेंगे और फिर एनडीए में शामिल हो जाएंगे। इसकी जमीन तैयार की जा रही है। इसका जिम्मा खुद शरद यादव ने लिया है। शरद के करीबी सूत्रों की मानें तो चुनाव से पहले जदयू फिर एनडीए में लौट जाएगा। इससे पार्टी को एक साथ कई फायदे होंगे। जनता परिवार के विलय के कानूनी लफड़ों में पड़ने के बजाए शरद-नीतीश नरेंद्र मोदी का नेतृत्व स्वीकार करना ज्यादा अनुकूल और फलदायी मान रहे हैं। शरद यादव पहले भी पहले भी भाजपा से नाता तोड़ने के पक्ष नहीं थे, लेकिन नीतीश की जिद के आगे उन्होंने हथियार डाल दिया था।
बदला नजरिया
लेकिन अब नीतीश भी बदल चुके हैं। सत्ता गंवाने का दर्द झेल चुके हैं। इसलिए नरेंद्र मोदी के प्रति उनका नजरिया बदलने लगा है। नरेंद्र मोदी के आगे ‘परोसी’ थाली खींचने वाले नीतीश कुमार को अब मोदी के साथ बैठकर खाने में परहेज नहीं है। बिहार में भाजपा के बढ़ते जनाधार से नीतीश भयभीत हैं। उनका मानना है कि राजद के साथ गठबंधन से सत्ता में आने की गारंटी नहीं है, लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन हो जाए, तो सत्ता पक्की रहेगी। यही कारण है कि नीतीश ने जनता परिवार के विलय की आस छोड़ दी है। जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में विलय की बात किसी ने नहीं की। फिर लालू यादव के राजनीतिक ‘पटलीबाजी’ पर नीतीश को भरोसा नहीं है।
रखी शर्त
एनडीए में शामिल होने के बाद शरद यादव को केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। एनडीए में वापसी के लिए जदयू की ओर दो शर्तें रखी जानी है। पहली शर्त्त है कि नरेंद्र मोदी सरकार में शरद यादव को शामिल किया जाएगा और दूसरी, यदि बिहार में भाजपा बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है, तब भी सीएम पद पर नीतीश की दावेदारी बरकरार रहेगी। और जहां तक भाजपा के खिलाफ जदयू और नीतीश के स्टैंड का सवाल है। सीएम नीतीश कुमार एक फिर भाजपा से अलग होने की गलती के लिए माफी मांग लेंगे।
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