एनडीटीवी इंडिया पर केंद्र सरकार के पैनल द्वारा एक दिन का प्रतिबंध लगाने के फैसले की चौतरफा निंदा हो रही है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस प्रतिबंध को स्तब्ध करने वाला और अभूतपूर्व बताया है, वहीं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यंतत्री उमर अब्दुल्ला व पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने भी इसकी निंदा की है.
उधर एडिटर्स गील्ड ने एक बयान जारी करके इस प्रतिबंध का विरोध किया है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस फैसले से इस बात की तसदीक होती है कि देश में ‘आपातकाल जैसे हालात’ हैं.
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला प्रतिबंध लगाए पूछा कि ‘क्या यही वे अच्छे दिन हैं,’ जिनका वादा किया गया था.
उमर अब्दुल्ला ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, “NDTV इंडिया का प्रसारण रोकने का आदेश… दिवंगत पूर्व सैनिक के परिवार के प्रति संवेदनाएं जताने के इच्छुक विपक्ष के नेताओं को हिरासत में लेना… अच्छे दिन… कोई है…?”
गौरतलब है कि, अंतर-मंत्रालयी पैनल गुरुवार को इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि जब भारतीय वायुसेना के पठानकोट शिविर पर आतंकी हमला हो रहा था, तब ‘NDTV इंडिया’ चैनल ने महत्वपूर्ण और ‘रणनीतिक रूप से संवदेनशील’ सूचनाओं को प्रसारित कर दिया था. जबकि अपने जवाब में एनडीटीवी चैनल ने कहा है कि यह ‘किसी बात को अपने-अपने नज़रिये से देखने’ का मामला है, और जो सूचनाएं हमने प्रसारित की हैं, वह पहले से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के ज़रिये जनता के सामने थीं.
केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि “भारत भर में किसी भी मंच के ज़रिये NDTV इंडिया के एक दिन के प्रसारण या पुन: प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं. यह आदेश 9 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट से 10 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट तक प्रभावी रहेगा…”
सोशल मीडिया पर भी आलोचना
सगारिका घोष ने ट्वीट किया, “एनडीटीवी को प्रतिबंधित करना स्वतंत्र मीडिया पर सरकार का चौंकाने वाला शक्ति प्रदर्शन है. मीडिया की हत्या मत करो.”
पत्रकार सिद्धार्थ वर्दराजन ने ट्वीट किया, “एनडीटीवी पर सरकार का एक दिन का प्रतिबंध सरकार की मनमानी और ताक़त का दुर्भावनापूर्ण उपयोग है. एनडीटीवी को इसे अदालत में चुनौती देनी चाहिए.