सरकार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को छात्रों को डिग्री प्रदान करने का अधिकार देने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिल जायेगा, जिससे वह विश्वविद्यालयों या डीम्ड विश्वविद्यालयों की तरह डिग्री दे सके।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने एनसीईआरटी के 56 वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए नई दिल्ली यह संकेत दिया। श्री कुशवाहा ने देश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि यहां एनसीईआरटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने की मांग का जिक्र हुआ है,सरकार इस पर गंभीर है और जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जायेगा।
इससे पहले एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति ने कहा कि एनसीईआरटी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसके पास छात्रों को डिग्री देने का अधिकार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी बीएड, एमएड, एमफिल तथा पीएचडी का कोर्स चलाती है लेकिन उसके लिए डिग्री राज्यों के विश्वविद्यालयों से दी जाती हैं क्योंकि उसके क्षेत्रीय केंद्र राज्यों में हैं और राज्यों के विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान बनाने के लिए प्रस्ताव मानव विकास मंत्रालय को भेजा गया है। श्री सेनापति ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने दो-तीन महीने पहले यह प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगुलुरु के निदेशक एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रोफेसर गोवर्धन मेहता की समिति ने दो-तीन साल पहले ही एनसीईआरटी को राष्ट्रीय महत्व का शिक्षण संस्थान बनाने की सिफारिश की थी।