उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कमजोर हुए अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण कानून को फिर से मूल स्वरूप में लाने संबंधी संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लग गयी।  राज्यसभा में अनुसूचित जातियां/अनुसूचित जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक 2018 पर करीब पौने दो घंटे तक चली चर्चा के बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। 

सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि मोदी सरकार गरीबों और दलित वर्गों के हितों के प्रति समर्पित है। इस सरकार ने इन वर्गों के हितों का संरक्षण किया है। उन्होेंने कहा कि विधेयक में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों पर अत्याचार के मामलों में जल्दी सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान किया गया है ।

उन्होंने कहा कि 14 राज्यों में 195 विशेष अदालतों का गठन किया गया है तथा कुछ राज्यों में जिला एवं सत्र न्यायालय को विशेष अदालत घोषित किया गया है। प्राथमिकी दर्ज किये जाने के दो माह के अंदर मामले की जांच पूरी करने तथा दो माह के अंदर विशेष अदालत में सुनवाई पूरी करने का विधेयक में प्रावधान किया गया है ।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427