शनिवार को उत्तर बिहार में दो प्रेमी युगलों को बेरहमी से मार डाला गया. चार-चार मासूमों की हत्या से किसी पर कोई फर्क भी नहीं पड़ा…इससे बड़ी असहिष्णुता और क्या होगी?
चंदन शर्मा
नृशंसता पर समाज की मौन सहमति है और मीडिया के लिए ये दूर-दराज का मामला. समस्तीपुर जिला के बिभूतिपुर के आलमपुर गाँव में प्रेमी जोड़े का शव गांव के बाहर बरगद के पेड़ से लटका मिला.
किसी ओर से कोई एफआईआर नहीं कराई गई है. गांव में सन्नाटा है। चौकीदार के हवाले से पुलिस ने मामला दर्ज करने की औपचारिकता पूरी कर ली है. इसी दिन मोतिहारी के बड़हरवा गांव में बेटी के प्रेम-प्रसंग से नाराज बाप ने शालू कुमारी (17) और शत्रुघ्न राम (17) की हत्या बेहरहमी से कर दी. दोनों कोचिंग में साथ पढ़ते थे. हत्या के बाद बाप ने बताया कि दोनों को पहले अलग-अलग कमरे में बंद किया, फिर बारी-बारी से गला दबाकर मार डाला.
गौरतलब है कि बरगद से लटके मासूम भी डिजिटल इंडिया के पैरोकार ही रहे होंगे. दोनों का मोबाइल पुलिस के पास रखा है, पासवर्ड होने के कारण जिसे खोला नहीं जा सका है.
इसी वर्ष जहानाबाद में भी तो यही हुआ था. इज्जत के ठेकेदार, भाग रहे प्रेमी युगल को स्टेशन से पकड़ कर लाते हैं. दिन-दहाड़े भरी पंचायत में पूरे गांव के सामने दोनों को पहले मन भर पीटा गया और जिंदा ही दोनों की चिता सजा दी गई.
अगले दिन पुलिस को बस दोनों की राख मिल सकी. किसी भी गांव वाले के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं था. सुशासन और विकास के दौर में ये सब छोटी-मोटी बात ही तो है. साल दर साल ऑनर किलिंग में देश में हजारों मासूमों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. कहीं परिवार वाले तो गांव वाले प्यार करने की सजा देते हैं.
सब कुछ होता है इज्जत के नाम पर.
इस मामले में भारत-पाकिस्तान हिंदू-मुसलमान सब एक हैं. दोनों ही देशों में ऑनर किलिंग में हर वर्ष हजारों मासूमों को मोहब्बत के बदले मौत मिलती है. इनके लिए कोई मार्च नहीं निकालता, कहीं कोई आवाज नहीं उठती, किसी की चुप्पी नहीं टूटती…कौन कहता है हम असहिष्णु हो रहे हैं?
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