अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में बढ़ती साम्प्रदायिक असहिष्णुता और हिंसा की ओर इशारा करते चेतावनी दी है कि जब तक भारत धार्मिक भेदभाव नहीं करेगा आगे बढ़ता रहेगा.
धार्मिक सहिष्णुता की पुरजोर वकालत करते हुए ओबामा ने कहा कि हर व्यक्ति को बिना किसी उत्पीड़न के अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है और भारत तब तक सफल रहेगा जब तक वह धार्मिक आधार पर नहीं बंटेगा.
सिरीफोर्ट आडिटोरियम में ‘टाऊनहॉल’ संबोधन में ओबामा ने भारत और अमेरिका को सिर्फ स्वाभाविक साझेदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साझेदार बताते हुए कहा कि बर्मा से श्रीलंका तक भारत की बड़ी भूमिका है.
उन्होंने चीन का नाम लिये बिना एशिया प्रशांत में भारत की वृहद भूमिका का स्वागत किया और कहा कि नौवहन की स्वतंत्रता बनाई रखी जानी चाहिए तथा विवादों का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए.
भारतीयों को संविधान की दिलायी याद
भारत में इन दिनों जबरन धर्मांतरण, घर वापसी और धर्मांतरण पर रोक लगाने की चर्चा जोरों पर है ऐसे में ओबामा की बात एक तरह से भारत के लिए चेतावनी जैसी है.
ओबामा ने कहा, ‘‘आपका (संविधान) अनुच्छेद 25 कहता है कि सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है. हमारे दोनों देशों में, सभी देशों में धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना न केवल सरकार की बल्कि सभी लोगों की सवरेपरि जिम्मेदारी है.’’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश तभी सफल होते हैं जब सभी को बराबर के अवसर मिलें. हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी, बौद्ध सभी बराबर हैं. गांधीजी ने कहा था कि विभिन्न धर्म एक बाग के विभिन्न फूल हैं.’’
ओबामा ने कहा, ‘‘सभी को अपनी पसंद का धर्म अपनाने और उसका अनुपालन करने का अधिकार है. यह सरकार के साथ सभी लोगों की जिम्मेदारी भी है.’’
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