असदुद्दीन ओवैसी के बिहार दौरे से राजद और जद यू खेमे में हड़कम्प है. नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि जनता परिवार की टॉप लीडरशिप ने ओवैसी से सम्पर्क भी किया है.
इर्शादुल हक, सम्पादक, नौकरशाही डॉट इन
गौरतलब है कि मज्लिस ए इत्तेहादुल मुस्लेमीन( AIMIM) के सदर ओवैसी ने किशनगंज के रुईधांसा मैदान में 16 अगस्त को एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था. बताया जाता है कि इस सभा में 25-30 हजार मुसलमानों ने शिरकत की थी जिन में युवाओं की खासी तादाद थी.
बिहार के सर पर मंडरा रहे चुनाव के पहले ओवैसी की इस रैली का इतना व्यापक प्रभाव पड़ा है कि खुद जनता गठबंधन के सीमांचल के एक विधायक ने नौकरशाही डॉट इन से स्वीकार किया है कि ओवैसी फैक्टर ने सीमांचल के सारे चुनावी समीकरणों को तहस-नहस करके रख दिया है.
जाहिर है लालू-नीतीश को भी इस रैली के प्रभावों की पूरी जानकारी है. खबर तो यहां तक है कि किशगंज की रैली का विडियो भी जद यू के टॉप नेतृत्व को दिखाया गया है. यही वजह है कि जनता परिवार में ओवैसी की इस रैली से बेचैनी है.
इस विडियो को देखने के बाद जनता परिवार के टॉप नेतृत्व ने ओवैसी से सम्पर्क साधा है. ओवैसी से आग्रह किया गया है कि वह भाजपा को रोकने में जनता परिवार की राह में मुश्कलें न खड़ी करें.
उधर एआईएमआईएम सूत्रों ने बताया है कि पार्टी ने अभी अपना राजनीतिक एजेंडा फाइनल नहीं किया है. दूसरी तरफ रैली के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि ‘यह 2015 का दौर है जहां कोई भी वोटर किसी की जागीर नहीं होता. वोटर्स उसी को अपना नेता मानते हैं जो उसकी समस्याओं और उसकी आवाज को उठाता है’. औवैसी ने कहा ‘फ्युडलिज्म का दौर अब नहीं रहा’. समझा जाता है कि ओवैसी का इशारा लालू प्रसाद की तरफ था क्योंकि लालू को मुसलमानों का वोट पिछले ढाई दशक से मिलते रहे हैं.
राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि अगर ओवैसी की पार्टी अगर बिहार में चुनाव लड़ती है तो उसका सीधा लाभ भाजपा को होगा जबकि इसका नुकसान जनता परिवार को होगा.