भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की तस्वीर खींचना आज सुबह मेरे लिए महंगा साबित हुआ। पटना के राजकीय अतिथिशाला के कमरा नंबर दो में कार्यकर्ताओं से साथ बातचीत करते हुए हमने उनकी तस्वीर खींची थी, लेकिन अमित शाह के निर्देश पर उनके पीए ने मेरे हाथ से मोबाइल छीना और सभी तस्वीरें डिलीट कर दीं।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात करने की अपेक्षा से सुबह करीब साढ़े सात बजे हम राजकीय अतिथिशाला पहुंचे। वे वहीं ठहरे हुए थे। उनसे मिलनेवालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। पार्टी के प्रभारी भूपेंद्र यादव व संगठन महामंत्री नागेंद्र भी पहुंच चुके थे। इस दौरान कार्यकर्ताओं को बताया गया कि अध्यक्षजी के पास 49 लोगों की लिस्ट है, उन्हीं से मुलाकात करेंगे। वह कमरा नंबर दो में ठहरे हुए थे और लोग बाहर वेटिंग रूम में इंतजार कर रहे थे। नौ बजे सूचना बाहर आयी कि अध्यक्षजी सवा नौ बजे से मिलेंगे। पहले उन्होंने महिला कार्यकर्ताओं को बुलाया। उस टोली के साथ हम भी अंदर प्रवेश कर गए। वहां नागेंद्र और भूपेंद्र के अलावा कई और लोग मौजूद थे। महामंत्री नागेंद्र सबका परिचय करा रहे थे। कार्यकर्ताओं में कुछ लोग चरणस्पर्श कर आशीर्वाद ले रहे थे तो कुछ अलग से हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे थे।
शाह की ‘तानाशाही’
इस बीच हमने कार्यकर्ताओं से बातचीत करते कुछ तस्वीर उतारी। लेकिन तब तक अध्यक्ष की अकेली तस्वीर हम नहीं ले पाए थे। इस बीच अमित शाह से मुझे तस्वीर लेने से मना किया। मैंने आग्रह किया कि एक तस्वीर और। फिर एक तस्वीर हमने उतारी। इसके बाद हम बाहर निकल पर वेटिंग रूम में बैठ गए। तब तक पीछे से अमित शाह के पीए आए और कहा कि सभी फोटो डिलीट कीजिए। मैंने कहा- अगर आपके अध्यक्षजी को आपत्ति है तो फोटो हटा दे रहे हैं। हालांकि हम प्रेस से जुड़े हैं। अभी हम फोटो हटाने का प्रयास ही कर रहे थे कि पीए ने मेरे हाथ से मोबाइल छीन लिया। उन्होंने अमित शाह से जुड़ी सारी तस्वीरें हटा दीं। इसके बाद संतुष्ट होकर हमें मोबाइल वापस कर दिया। हालांकि हमने जो तस्वीर उतारी थी, उसमें कोई आपत्तिजनक तस्वीर नहीं थी। कार्यकर्ताओं के साथ वह बातचीत कर रहे थे। संभव है कि उनके मना करने के बाद भी एक तस्वीर लेना उनके आदेश की अवहेलना लगी हो। खैर, मोबाइल वापस मिलने के बाद हम राजकीय अतिथिगृह से बाहर निकल गए।
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