2014 में एनसीपी के टिकट पर निर्वाचित हुए तारिक अनवर ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है। वे बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये। इससे पहले वे चार बार कांग्रेस के टिकट निर्वाचित हो चुके थे। वे लंबे तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे। बाद में शरद पवार के साथ मिलकर एनसीपी बनायी थी और महाराष्ट्र से दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे, लेकिन पिछले दिनों राफेल विवाद पर शरद पवार के बयान से नाराज होकर उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। कटिहार लोकसभा का अस्तित्व 1957 में पहली बार अस्तित्व में आया था। इसके बाद विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार जीतते रहे। विभिन्न जातियों के लोग भी जीतते रहे हैं।
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वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 27
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सांसद — कटिहार — तारिक अनवर — मुसलमान (इस्तीफा)
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
कटिहार — तारकिशोर प्रसाद — भाजपा — बनिया
कदवा — शकील अहमद खान — कांग्रेस — मुसलमान
बलरामपुर — महबूब आलम — माले — मुसलमान
प्राणपुर — विनोद सिंह — भाजपा — कुशवाहा
मनिहारी — मनोहर सिंह — कांग्रेस — आदिवासी
बरारी — नीरज कुमार — राजद — यादव
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2014 में वोट का गणित
तारिक अनवर — एनसीपी — मुसलमान — 431292 (44 प्रतिशत)
निखिल चौधरी — भाजपा — भूमिहार — 316552 (32 प्रतिशत)
रामप्रकाश महतो — जदयू — सूड़ी — 100765 (10 प्रतिशत)
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सामाजिक बनावट
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कटिहार की राजनीति में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एक बडा फैक्टर रहा है। इस क्षेत्र में सवर्ण जातियों की आबादी काफी कम है। इसके बाद भी भूमिहार जाति के निखिल चौधरी तीन पर तारिक अनवर को पराजित कर जीतते रहे तो उसमें धार्मिक गोलबंदी की बड़ी भूमिका थी। संसदीय क्षेत्र में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। सूरजापुरी और शेरशाहबादी मुसलमानों की भी बड़ी आबादी है। सवर्ण मुलसलान भी बड़ी संख्या में हैं। यादव की आबादी डेढ़-दो लाख होगी। वैश्यों की भी बड़ी आबादी है। व्यावसायिक केंद्र होने के कारण संसदीय क्षेत्र में बनियों का वर्चस्व है। अतिपिछड़ों की भी काफी आबादी है।
एक राज्यपाल ऐसा भी
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विश्वनाथ प्रसाद सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में 1990 में मो. युनूस सलीम बिहार के राज्यपाल थे। लालू यादव मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इसी दौरान केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह के इस्तीफे के बाद चंद्रशेखर सिंह प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राज्यपाल युनूस सलीम को इस्तीफा देने को कहा। युनूस सलीम ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने से मना कर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने युनूस सलीम को बर्खास्त कर दिया। उसी समय 1991 में लोकसभा चुनाव होने वाला था। लालू यादव ने बर्खास्त राज्यपाल को कटिहार से जनता दल का टिकट थमा दिया। इस संबंध में राजद के एक कार्यकर्ता कहते हैं कि साहब (लालू यादव) ने कहा कि इन्हें ट्रेन में बैठाकर कटिहार ले जाओ और हमलोगों ने युनूस सलीम को लोकसभा भेज दिया। युनूस सलीम चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन लालू यादव की हवा में जीत गये।
कौन-कौन हैं दावेदार
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कटिहार लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन के स्वाभाविक दावेदार तारिक अनवर माने जा रहे हैं। पिछले चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार थे, अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि राजद कार्यकर्ताओं का मानना है कि कटिहार समाजवाद की जमीन है और वैसे में यह सीट राजद को मिलना चाहिए। बरारी से राजद विधायक नीरज कुमार कहते हैं कि राजद कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उधर एनडीए खेमे में माना जा रहा है कि भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को फिर टिकट मिल सकता है। लेकिन यह तय नहीं है। कई दावेदार अब सामने आने लगे हैं और निखिल चौधरी की उम्र का हवाला देकर उनकी दावेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। नये दावेदारों में कटिहार के भाजपा विधायक तारकिशोर प्रसाद को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। वे तीसरी बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। पूर्व विधायक विभाषचंद्र चौधरी भी दावेदार हो सकते हैं। विधान पार्षद अशोक अग्रवाल भी दावेदारों के दौर में शामिल हैं। यदि यह सीट जदयू के खाते में जाती है तो इस सीट से पूर्व विधायक दुलालचंद गोस्वामी उम्मीदवार हो सकते हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव में जदयू के उम्मीदवार रहे रामप्रकाश महतो भी दावेदार हो सकते हैं।