छपरा जिले का मशरख प्रखंड के जजुली पंचायत से सटा गन्दामन धर्मसती गांव किसी तूफानी जलजले के गुजरने के बाद की बर्बादी की माफिक विरान हो गया है.
अनूप नारायण सिंह, छपरा के प्रभावित गांव से
रविवार 21 जुलाई की देर रात मैं उस गांव मे था. रात के लगभग 11 बज रहे थे. पूर्णिमा का चाँद नीले आकाश मे अपनी छटा बिखेर रहा था. गाव मे मातमी सन्नाटा छाया हुआ था.
घरों के पास से गुजरने के बाद रुक रुक कर आ रही सिसकियां विरानी को चीरती हुई हृदय को बेध रही थी.अपने नौनिहालों को खोने के गम मे डूबे इस गांव ही नहीं अस पास के इलाके के आंसू भी सरकारी रुमाल पोछते नजर नही आ रहे थे जो.
जो बच्चे इस हादसे के बाद बच गये हैं उन्हें किसी अनजान डर से सगे संबंधियों के यहाँ भेज दिया गया है.पता चला की स्थनीय संसद और विधयक के द्वारा पीड़ितों की भरपूर मदद की गई है. वे लोग रोज पीड़ितों के घर आ जा रह हैं.
प्रशासनिक अधिकारी भी कई बार आ चुके हैं.बावजूद इसके किसी के कोख उजड़ने का दारुण दर्द क्या होता है यह धर्मसती आ कर ही पता चलता है.
रात में मध्य विद्यालय की तरफ लोग डर से नहीं जा रहे. एक ग्रामीण ने बताया कि वहीं बच्चों को दफ़न किया गया है. कुछ लोग दबी जुबान मे कहते हैं कि उनकी आत्मा रात मे गांव मे घूमती नजर आती है. हमें कोई आत्मा नजर नही आई पर एक एहसाह जरुर हुआ कि कब्र में पड़े मासूम अपनी मौत का हिसाब जरुर मांग रहे हैं