पिछले ढाई महीनों में दो बार राजभवन के प्रथम तल पर भोजन टाइप नाश्ता का मौका मिला। विभिन्न प्रकार के व्यंजन। इडली सांभर से लेकर जलेबी तक। गंभीर नाश्ते के लिए कचौड़ी से लेकर सब्जी तक। सभी भरपूर, लेकिन देर हुई तो हाथ मलते रह जाएंगे। कुछ वीआईपी तस्वीर और नाश्ता के बीच संतुलन बनाना बड़ी मुश्किल काम है। पहली बार तस्वीर के चक्कर में नाश्ता ‘लूट’ गया था और इस बार ‘नाश्ता’ के चक्कर में तस्वीर छूट गयी। पहला मौका था 27 जुलाई का, जब नीतीश कुमार छठी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेकर सत्ता संभाल रहे थे। दूसरा मौका कल 4 अक्टूबर का था, जब राज्यपाल सत्यपाल मलिक की शपथ के बाद नाश्ता के लिए राजभवन के प्रथम तल पर आमंत्रित किया गया था।
वीरेंद्र यादव
राज्यभवन का प्रथम तल दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इसके एक हिस्से में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य विशिष्ठ अतिथियों के लिए नाश्ते का प्रबंध होता है, जबकि दूसरे हिस्से में सामान्य अतिथियों का। 27 जुलाई को हम विशिष्ठ अतिथियों वाले हिस्से में प्रवेश कर गये थे और तत्कालिक प्रभारी राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत कई विशिष्ट अतिथियों की तस्वीरें उतार ली थी। इस हिस्से में फोटोग्राफरों के लिए प्रवेश वर्जित रहता है, लेकिन मोबाइल वाले तस्वीर लेने से बाज नहीं आते हैं। इसकी वजह भी है। कुछ वीआईपी को छोड़कर अधिकतर विशिष्ठ अतिथि उस पल के साक्षी के रूप में अपने मोबाइल से अपना फोटो उतरवाने लगते हैं। इस मौके का लाभ हमें भी मिल गया।
वीआईपी लॉबी से निकलकर नाश्ते के लिए सामान्य लॉबी में पहुंचा तो प्लेट पर ‘कब्जा’ ही मुश्किल हो गया। किसी तरह प्लेट का जुगाड़ हुआ तो नाश्ता कम पड़ने लगा। स्थिति यह हो गयी कि कचौड़ी को लोग टेबुल तक पहुंचने से पहले लूट ले रहे थे। किसी तरह कुछ सामान प्लेट में बटोरने में हम भी सफल हुए। नाश्ते के साथ मट्ठा पीकर ही वहां से प्रस्थान किये।
कल 4 अक्टूबर को उल्टा हो गया। विशिष्ट अतिथियों से पहले हम प्रथम तल पर चढ़ गये। विशिष्ट अतिथियों वाली लॉबी खाली थी। इस बीच हमने सोचा पहले नाश्ता कर लेते हैं। इसलिए सामान्य अतिथि वाले लॉबी में पहुंच गये। शुरुआती एंट्री थी। नाश्ता का पुख्ता इंतजाम। धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती जा रही थी। हम खाकर-खाकर अघा गये थे। इस बीच काफी समय निकल चुका था। नाश्ता के बाद जब हम विशिष्ट लॉबी में पहुंचे तो आम लोगों के लिए प्रवेश वर्जित हो गया था। कोशिश करके भी हम अंदर नहीं घुस पाये। इसलिए वीआईपी तस्वीर नहीं बन पायी। बड़ा अफसोस हुआ। पिछली बार तस्वीर के चक्कर में नाश्ता लूट गया था और इस बार नाश्ता के चक्कर में तस्वीर छूट गयी।