राज्यसभा के पूर्व सांसद शिवानन्द तिवारी ने आज कहा कि जो जितना कमज़ोर है, नोटबंदी की मार उसको उतनी ही ज़्यादा झेलनी पड़ रही है। श्री तिवारी ने आज कहा कि बिहार गरीब राज्य है । बिहार की अर्थ व्यवस्था और यहाँ के गरीबों को नोटबंदी गंभीर चोट पहुँचा रही है। यहाँ उद्योगों में दस-पंद्रह हजार करोड़ रुपये का निवेश है। अधिकांश उद्योगों के सामने बंदी का तलवार लटकने लगा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के भुगतान पर संकट है। तैयार माल को बाज़ार में भेजने के लिए ट्रांसपोर्टरों को देने के लिए नकदी नहीं है।
पूर्व सांसद ने कहा कि बिहार की लगभग दस करोड़ आबादी का बड़ा हिस्सा खेती और उससे जुड़े धंधों पर निर्भर है। धान कटनी के लिए मज़दूरों को देने के वास्ते किसानों के पास पैसा नहीं है। जहाँ किसी प्रकार कटनी हो गई है, वहाँ रबी की बुआई के लिए बीज-खाद ख़रीदने के लिए किसानों के पास नकदी नहीं है।
श्री तिवारी ने कहा कि रोज़ाना मज़दूरी कर कमाने-खाने वालों की हालत तो सबसे ज्यादा ख़राब हो रही है। नकदी के अभाव में निर्माण का काम लगभग बंद हो गया है। मज़दूरों को काम नहीं मिल रहा है। साग-सब्ज़ी का धंधा करने वालों की भी हालत ख़राब है। उन्होंने कहा कि नगदी के अभाव में बिक्री आधी से भी कम हो गई है। सरकार लाख दावा करे, मुद्रा की स्थिति सामान्य होने में लंबा समय लगने वाला है। पूर्व सांसद ने कहा कि नोटबंदी से बिहार को जो नुकसान होने वाला है उसका अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस नुकसान की भरपाई करनी होगी।