निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के आर्थिक दोहन और लूट के खिलाफ आठ दिनों से पटना में आमरण अनशन पर बैठी परवीन अमानुल्लाह का शरीर कमजोर पड़ने लगा है लेकिन वह अपने आंदोलन पर अडिग हैं. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधियों के साथ हुई उनकी वार्ता विफल हो गयी है.
परवीन अमानुल्लाह ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया कि स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल सर्विसेज के डायरेक्टर आजाद हिंद प्रसाद और वीके सिंह धरनास्थल पर आये और उनसे अनेक मुद्दों पर बात हुई. बिहार क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट ऐक्ट को को मेडिकल एसोसिएशन ने चुनौती दे रखी है इसलिए इस पर फिलहाल अमल करना कठिन है. लेकिन परवीन अमानुल्लाह का कहना है कि जब यह मामला अदालत में है तो सरकार इस पर चुप क्यों है. इस सवाल पर प्रतिनिधि ने आश्वस्त किया कि सरकार इस दिशा में अब सक्रिय होगी. पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह का कहना है कि सरकारी डाक्टरों की निजी प्रेक्टिस पर रोक लगाने में भी सरकार कतरा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के ढुल-मुल रवैये से वह डिगने वाली नहीं हैं और अपना आमरण अनशन जारी रखेंगी.
गौरतलब है कि परवीन अमानुल्लाह और उनके सहयोगियों का जोर है कि निजी अस्पतालों में अकसर डाक्टरों की लापरवाही से मरीजों की मौत हो जाती है जिसके बाद काफई हंगामा होता है लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती. उन्होंने कहा कि निजी अस्पतलाों में लाखों रुपये मरीजों से बिला वजह दोहन कर लिये जाते हैं.
उनका कहना है कि गैरजरूरी जांच और जानबूझ कर महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं जिससे अस्पतालों और डाक्टरों को कमिशन मिलता है. उनका कहना है कि सरकार इन तमाम मुद्दों पर कोई ठोस प्रस्ताव ले कर नहीं आती तब तक उनका अनशन जारी रहेगा.