प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर प्रशासन से करदाताओं में मौजूद उत्पीड़न के भय और अविश्वसनीयता को दूर करने तथा देश में करदाताओं की संख्या बढाने का आह्वान करते हुये आज कहा कि देशवासी स्वभाव से कर चोर नहीं हैं, लेकिन उनके मन में कर देने के बाद होने वाले संभावित उत्पीड़न के भय से वे पीछे हट जाते हैं।
श्री मोदी ने राजस्व संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों के दो दिवसीय संयुक्त सम्मेलन ‘राजस्व ज्ञानसंगम’ का नई दिल्ली में शुभारंभ करते हुये कहा कि सम्मेलन समाप्त होने के बाद यह कर्मसंगम में बदल जाना चाहिये ताकि इससे जो विचार आयेंगे उन्हें हकीकत में बदला जा सके। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने कर अधिकारियों के साथ बंद कमरे में सीधे संवाद किया है। इसमें मीडिया को प्रवेश नहीं दिया गया। लेकिन, उद्घाटन सत्र के बाद वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, राजस्व सचिव हसमुख अधिया, सीबीडीटी के अध्यक्ष अतुलेश जिंदल और सीबीईसी के अध्यक्ष नजीब शाह ने संवाददाताओं को श्री मोदी द्वारा दिये गये भाषण के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने कर प्रशासन के लिए पाँच सूत्री चार्टर आरएपीआईडी (रैपिड) सुझाते हुये कहा कि ‘आर’ का मतलब रिवेन्यू (राजस्व), ‘ए’ का अर्थ अकाउंटेबिलिटी (जिम्मेदारी), ‘पी’ का अर्थ प्रोबिटी (सत्यनिष्ठा), ‘आई’ का मतलब इंफॉर्मेशन (सूचना) और ‘डी’ का अर्थ डिजिटाइजेशन (डिजिटलीकरण) है।