करियर काउंसेलर ओवैस अम्बर ने कोचिंग संस्थानों को एक बड़ा छलावा बताते हुए कहा है कि इन से देश के 14 लाख छात्रों का भविष्य हर साल बरबाद होता है.
उन्होंने यू ट्यूब पर जारी एक वीडियो में कहा कि देश के 14 लाख छात्र देश के विभिन्न मेडिकल, इंजीनियरिंग और सेंट्रल युनिवर्सिटिज में नामांकन के लिए फार्म भरते हैं और इससे छात्रों के एक अरब चालीस करोड़ रुपये खर्च होते हैं जबिक मात्र 54 हजार छात्रों का एडमिशन लिया जाता है बाकी पैसे बर्बाद हो जाते हैं. अम्बर ने कहा कि ये पैसे एक जगह बचायें जायें तो लाखों छात्रों का भविष्य उज्जवल किया जा सकता है.
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रोजमाइन ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अम्बर ने कहा कि फार्म भरने से जितने पैसे छात्रों की जेब से खर्च होता है, उतने ही पैसे से कई आईआईटी और एनआईटी कालेज खोले जा सकते हैं.
अम्बर ने छात्रों के समूह को संबोधित करते हुए कहा कि पैसों की इस लूट के अलावा इससे भी बड़ी लूट फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ की कोचिंग के नाम पर की जाती है. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कालेजों में नामांक के लिए होने वाली परीक्षा में पास कराने के नाम पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक कोचिंग के दुकानदारों ने अपना जाल फैला रखा है जो लाखों छात्रों से अरबों अरब रुपये कोचिंग फीस के नाम पर ऐंठते हैं.
इन संस्थानों ने सरकारी या निजी स्कूलों की पढ़ाई को चौपट करा दिया है ताकि उनके संस्थानों की दुकान चल सके. अम्बर ने कोचिंग संस्थान चलाने वालों को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि क्या वे दावा कर सकते हैं कि उनके संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र 11 महीने तक उनके यहां पढ़ाई की और कम्पिटिशन में सफल हुए? अगर यह बात वे स्वीकार कर लेते हैं तो इसका मतलब है कि वे क्राइम कर रहे हैं क्योंकि अगर कोई छात्र 11वीं में एडमिशन ले चुका है तो उसे बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने के लिए कम से कम 60 फीसदी हाजिरी देनी होती है. जब वे छात्र 60 प्रतिशत हाजिरी नहीं पूरा करते तो फिर वे कैसे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.
अम्बर ने कहा कि यह बहुत बड़ा क्राइम है और इस क्राइम का हिस्सेदार मासूम छात्रों को भी बनाया जाता है. अवैस अम्बर ने ऐसी व्यस्था खत्म करने का आह्वान करते हुए छात्रों से अपील की कि वे ऐसी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठायें. अम्बर ने कहा कि ऐसे कोचिंग संस्थानों के फ्रॉड के खिलाफ अदालत में केस किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस चरमराई व्यस्था के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है.