2015 से रेल मंत्री रहे सुरेश प्रभु के कार्यकाल में अब तक 346 एक्सिडेंट हुए, 177 लोगों की जानें गयीं चिंतित करने वाली बात यह है कि 1.42 लाख सेफ्टी स्टाफ के पदों पर बहाली नहीं की गयी.
इंडियन एक्सप्रेस ने इन रेल हादसों की गिनती की है. उसका कहना है कि सुरेश प्रभु के रहते 28 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं. प्रभु पर इस्तीफा देने का काफी बाहरी दबाव है. उन्होंने ताजा घटना के बाद इस्तीफा की पेशकश भी की है लेकिन नरेंद्र मोदी ने उन्हें रोक रखा है.
काकोदकर कमेटी की रिपोर्ट लागू ना किया जाना भी सुरेश प्रभु के लिय बड़े अपमान की बात है. इस कमेटी ने ट्रेक के रिपलेस्मेंट की सिफारिश की थी. यह कमेटी 2012 में बनी थी.
रेल मंत्री की हैसियत पर रहते सुरेश प्रभु की आलोचना इसलिए भी हो रही है कि उनके कार्यकाल में एक्सिडेंट पर एक्सिडेंट होते रहे लेकिन न तो रेलवे सेफ्टी से जुड़े 1.42 लाख स्टाफ की नियुक्ति हुई और न ही रेल पटरियों को सुधारा गया. ये दोनों बड़ी वजहें है जो सरकार के लिए मुंह छुपाने की भी जगह नहीं दे रहे हैं.