मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद अब सत्ता शीर्ष के नम्बर दो आजम खान ने कहा है कि राज्य पुलिस प्रशासन नाकारा है और उन्हें जान से मारने की धमकी देने वाले से रिश्वत ले कर उसे छोड़ दिया है.
अनुराग मिश्र, ब्यूरो चीफ, लखनऊ
उतर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल तो पिछले एक साल से खड़े हो रहे थे पर हर बार अखिलेश सरकार इसे विपक्ष और मीडिया की साजिश बताकर विषय से अपना पल्ला झाड लेती थे. लेकिन कहावत है कि अगर मर्ज का इलाज समय पर न किया जाये तो उसे नासूर बनते देर नहीं लगती. कुछ ऐसी ही तस्वीर इस समय उतर प्रदेश की है जहाँ कानून व्यवस्था की स्थिति विकराल होती जा रही है. आलम यह है कि हत्या डकैती और लूट की वारदातें आम बातें हो गयी हैं.
अब तो हालत यहां तक आ पहुंची है कि खुद सदाकार के मंत्री भी लचर कानून व्यवस्था के लिए सरकार को घेर रहे हैं.
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जान से मारने की धमकी
सरकार के कद्द्वर मंत्री आजम खान ने अपने एक बयान में कल कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस कानून व्यवस्था के मामले में बिलकुल नाकारा है. उन्होंने खुद से जुड़े एक वाकये का खुलासा करते हुए कहा कि उन्हें फ़ोन पर धमकी देने वाले सख्स को संभल की पुलिस ने पहले गिरफ्तार किया और फिर रिश्वत लेकर रिहा कर दिया.
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि उन्हें फेसबुक पर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है उनकी फर्जी प्रोफाइल बनायीं गयी है जिस पर आपत्तिजनक टिप्पड़ियाँ की जा रही हैं. जिसकी शिकयत उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक तक से की पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. उन्होंने यहां तक मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाये.
अब जरा सोचिये जिस प्रदेश की पुलिस राज्य की सत्ता में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मंत्री की बात न सुन रही हो उस प्रदेश में आम जनता की स्थिति क्या होगी ?
यहाँ यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में यह बात स्वीकार की थी कि उतर प्रदेश के अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं.
ऐसे में बेहद मत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आखिर उतर प्रदेश की सरकार चला कौन रहा है ? राज्य में सत्ता का केंद्र कहाँ है ? कहा जाता है कि शासन तंत्र इकबाल से चलता है. जो सरकार अपने तंत्र पर इकबाल कायम कर ले उस सरकार का शासन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है और जो नहीं कर पाती शासनतंत्र के कार्य उसी सरकार के लिए कब्रगाह बन जाता है.
शालीनता से नहीं चलता शासन
वस्तुतः मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से यही चूक हो गयी. अपनी शालीनता और विनम्रता के चलते उन्होंने नौकरशाहों से मित्रवत व्यवहार किया. लेकिन बे-लगाम और घूसखोर हो चूँकि यूपी की नौकरशाही इसे मुख्यमंत्री की कमजोरी समझ बैठी है. जो किसी भी रूप में अखिलेश सरकार के लिए हितकर नहीं है.
राज्य में लोकसभा चुनावो की कवायद शुरू हो चुकी है और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव उतर प्रदेश की साठ सीटों के बदौलत प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने का हसीन सपना देख रहे है पर उनके इस सपने पर लगता है कि ग्रहण लगाने की कसम उत्तर प्रदेश की नौकरशाहों ने खा ली है. बार-बार की चेतावनी की बावजूद नौकरशाह सुधरने का नाम नहीं ले रहे. लचर कानून व्यवस्था की चलते पूरे राज्य में सपा सरकार की निंदा हो रही है. जिसका लोकसभा चुनाव में सपा की सीटों पर प्रतिकूल असर पड़े तो अचरज की बात नहीं.
इसलिए बेहतर होगा की मुख्यमंत्री अखिलेश परिस्थति को समझे और नासूर बन चुकी उतर प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने के लिए कारगर कदम उठाये अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब यूपी की ब्यूरोक्रेसी सपा सरकार के पतन की वजह बन जायेय