बिहार कांग्रेस द्वारा रविवार को आयोजित दावत ए इफ्तार का तमाम मुस्लिम विधायकों और नेताओं के एक बड़े वर्ग ने बहिष्कार कर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के सामने गंभीर चुनौती पेश कर दिया है.
हालांकि इस दावत ए इफ्तार में लोगों की भारी भीड़ जुटी थी लेकिन एक भी मुस्लिम विधायक और अधिकतर मुस्लिम नेताओं का इस आयोजन में शामिल न होने का अलग-अलग अर्थ लगाया जा रहा है.
एक मुस्लिम विधायक ने नौकरशाही डॉट इन से बात करते हुए कहा कि जिस पार्टी में मुसलमानों की कोई पूछ बची ही नहीं है वहां जाने का क्या अर्थ है? उन्होंने कहा कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रे को मिले कुल आठ प्रतिशत वोट में से 6 प्रतिशत मुसलमानों का वोट था, पर इस पार्टी में मुसलमानों का सम्मान घटा है इसलिए एक भी मुस्लिम विधायक नहीं पहुंचे.
ध्यान रहे कि कांग्रेस पार्टी के कुल चार विधायकों में से तीन- डॉ मोहम्मद जावेद, तौसीफ आलम और आफाक आलम मुस्लिम हैं. ये तीनों विधायक रमजान के रोजे रख रहे हैं लेकिन दावत ए इफ्तार में शामिल नहीं हुए. सिर्फ सदानंद सिंह ही एक मात्र विधायक थे जो शरीक थे.
विधायक के साथ नेता भी नदारद
विधायकों के अलावा कांग्रेस के अधिकतर वरिष्ठ मुस्लिम नेता भी दावत ए इफ्तार में नहीं गये.
इनमें अरशद अब्बास आजाद, आजमी बारी, एसएम शरफ, नजमुल हसन नजमी, प्रो. इकबाल अफजल, आफाक खान जैसे नेताओं ने खुद को इस आयोजन से दूर रखा.
अरशद अब्बास ने कहा कि कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करना नहीं जानता. ऐसे में उसे यह एहसास होना चाहिए कि उसे वरिष्ठ नेताओं का सहयोग भी नहीं मिलेगा.
ज्ञात हो कि बिहार कांग्रेस कमेटी की अंदरूनी रानीति में विद्रोह की स्थिति है. हाल ही में सम्पन्न हुए राज्यसभा चुनाव में दो विधायकों ने पार्टी लाइन के विरुध जा कर वोट किया था. विधायक तौसीफ आलम के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने साबिर अली के समर्थन में वोट किया था जबकि आफाक ने अनिल शर्मा का समर्थन किया था.
दावत ए इफ्तार आम तौर पर आपसी भाईचारे और सौहर्द बढ़ाने का प्रतीक माना जाता है लेकिन बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी व बिहार प्रदेश अल्पसंख्यक प्रकोषण द्वारा आयोजित इस आयोजन में राजनीतिक विरोधाभास ही खुल कर सामने आ गया.
हालांकि इस संबंध में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मिन्नत रहमानी का कहना है कि दो विधायक तो पहले ही बागी हो चुके हैं. लेकिन एक विधायक से उनकी बात हुई थी और उनके घर पर उन्होंने खुद ही दावत इफ्तार का आयोजन किया था इसलिए वे नहीं आये.