कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तीन फरवरी को पटना में हो रही जन आकांक्षा रैली की तैयारी लगभग पूरी हो गयी है। रैली को लेकर गांधी मैदान की सुरक्षा में एसपीजी के जवान तैनात हो गये। कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में गहमागहमी है। पार्टी के नेता रैली के लिए भीड़ जुटाने में लगे हैं। पटना में लगे बैनर व पोस्टर में अधिकतर सवर्ण नेताओं की तस्वीर ही दिख रही है।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल राजपूत जाति के बताये जाते हैं। बिहार की राजनीति में गोहिल की जाति ज्यादा मायने नहीं रखता है। लेकिन बिहारी नेताओं की जाति की अनदेखी नहीं की सकती है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और मीडिया प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद्र मिश्र सभी सवर्ण जातियों के हैं। रैली के लिए बनी समितियों के अधिकतर अध्यक्ष भी सवर्ण जातियों के हैं। बैनर व पोस्टरों ने सवर्ण नेताओं के चेहरे ही नजर आ रहे हैं। कई गैरकांग्रेसी सवर्ण नेता ही रैली को सफल बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस में शामिल होने वाले अधिकतर नेता और टिकट के दावेदार भी सवर्ण जातियों के ही हैं। बिहार में कांग्रेस के 27 विधायकों में मात्र 11 ही सवर्ण हैं। इनमें से एकाध जदयू की दामन थामने की तैयारी हैं।
दरअसल कांग्रेस रैली के माध्यम से सवर्ण वोटरों को नये सिरे से जोड़ने का प्रयास कर रही है। सवर्ण वोटरों को जोड़े बिना कांग्रेस अपना आधार मजबूत नहीं कर सकती है। इसी रणनीति पर काम भी कर रही है। यही कारण है कि रैली के पोस्टरों में सवर्ण चेहरे को प्रमोट किया जा रहा है। महागठबंधन में शामिल अन्य पार्टियां राजद, रालोसपा, हम, लोजद और वीआईपी गैरसवर्णों का ही प्रतिनिधि पार्टी मानी जाती हैं। वैसे में कांग्रेस सवर्ण चेहरों के भरोसे अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है। इसीलिए अगली पंक्ति में सवर्णों को खड़ा कर दिया गया है। ये चेहरे कांग्रेस को कितनी ताकत देंगे, समय ही बतायेगा।