बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पुनर्गठन को ले कर लात-घूसों से हुई मारपीट के दूसरे दिन वरिष्ठ नेता व पार्टी विधायक डा. मोहमम्द जावेद ने सोनिया गांधी को ज्ञापन सौंपा है.
डा जावेद आजाद की सोनिया से दिल्ली में यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जिसके एक दिन पहले प्रदेश कार्यसमिति के पुनर्ठन से नाराज गुट और प्रदेश अध्यक्ष ओशोक चौधरी के हिमायतियों के बीच लात-घूसों से शुरू हुई मारपीट लाठी तक पहुंच गयी और बेकाबू हालात पर नियंत्रण के लिए पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती करनी पड़ी.
आजाद ने कांग्रेस अद्यक्ष को सौंपे अपने ज्ञापन में कहा है कि बिहार में कांग्रेस का एक मात्र गढ़ और लोकसभा व असेम्बली में नुमाइंदगी के हिसाब से सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले जिले किशनगंज को संगठन में कोई नुमांदगी नहीं है.
किशनगंज की नुमाइंदगी नहीं
डा. जावेद ने वर्ष 2005 से ले कर 2014 तक के लोकसभा व असेम्बली चुनावों का पूरा आंकड़ा जारी करते हुए बताया है कि इन दस वर्षों में किशनगंज एक मात्र जिला है जो पूरे राज्य की तुलना में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत लोक सभा व असेम्बली सीटों की नुमांदगी करता रहा है. लेकिन प्रदेश संगठन के उपाध्यक्ष के 15 पदों और महासचिव के 25 पदों में से एक पद पर भी किशनगंज का प्रतिनिधित्व नहीं है .
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डॉ. जावेद ने सोनिया को सौंपे अपने ज्ञापन में उस आंकड़े को भी रख दिया है जो बताता है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव के कुल 76 पदों में से एक पद पर भी किशनगंज के किसी नेता को संगठन में नुमाइंदगी नहीं दी गयी है. जबकि पार्टी का सबसे बड़ा वोटर वर्ग इसी जिले से है.
डॉ जावेद के इसे आंकड़े के अवलकन से पता चलता है कि पीर्टी संगठन में उच्च पदों को तो छोड़िय संगठन सचिव के 43 पदों में से एक भी पद उनके जिले के नुमाइंदे को नहीं दिया गया. इसी तरह पार्टी की प्रदेश इकाई में प्रवक्ता के कुल 12 पदों में से एक पद भी किशनगंज के नेता को नहीं दिया गया है.
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के तमाम संगठनों के पुनर्गठन का काम चल रहा है. ऐसे समय में डॉ आजाद के यह आंकड़ें बिहार में कांग्रेस की दयनीय हालत की हकीकत को बयान करते हैं.
बिहार के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और किशनगंज के विदायक डा. मोहम्मद जावेद ने पार्टी अद्यक्ष सोनिया गांदी से मुलाकात कर आगामी चुनावों की रणनीतियों पर चर्चा भी की है.
आजाद ने दिल्ली से नौकरशाही डॉट इन को बताया कि उन्होंने सोनिया से मिल कर नवम्बर में प्रस्तावित चुनाव के मद्देनजर गठबंदन दलों से सीटों के बंटवारे पर जल्द से जल्द फैसला लेने का आग्रह किया है. आजाद ने सोनिया गांदी को एक मेमोरंडन भी सौंपा है.
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