नौकरशाही के गलियारे में चल रही कानाफुसी अगर सच साबित हुई तो गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी के लिए आने वाले दिनों में अच्छी ख़बर नहीं है.उनकी शक्ति और अधिकारों में कटौती करते हुए उन्हें गृह विभाग जैसे सशक्त महकमे से हटाया जा सकता है.
चर्चा है कि उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का प्रधान सचिव बनाये रखा जाये और गृह विभाग किसी अन्य अधिकारी कौ सौंप दिया जाये.
नौकरशाही डॉट इन को कानाफुसी से मिल रही जानकारी यह बताती है कि सरकार में रसूख रखने वाले कुछ लोगों ने गृह विभाग के ने प्रधान सचिव की तलाश शुरू कर दी है.
1987 बैच के आईएएस टॉपर रहे सुबहानी अक्टूबर 2009 से गृह विभाग के सचिव हैं और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी उनके पास है.
कुछ सूत्रों का मानना है कि गृह विभाग की व्यस्तता के कारण वह अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में समय नहीं दे पाते जिसके कारण इस विभाग का काम ठप सा रहता है. इस तर्क को निराधार भी नहीं माना जा सकता. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का सुबहानी का चैम्बर अकसर बंद पड़ा रहता है. विभाग के सूत्र भी यह स्वीकारते हैं कि उनका चैम्बर हफ्तों बंद रहता है.
हालांकि सुबहानी उन नौकरशाहों में से एक हैं जिन पर नीतीश कुमार काफी हद तक भरोसा करते हैं.
सुबहानी के काम काज से भले ही सरकार और मुख्यमंत्री संतुष्ट रहते हों पर सच्चाई यह है कि उनके गृहविभाग की कमान संभालने के कुछ ही दिनों बाद फारबिसगंज में पुलिस गोली कांड में बच्चों और औरतों समेत अनेक लोगों की जानें गईं थीं. सारी दुनिया ने पुलिस के एक जवान को अधमरे शरीर पर बूंटों से रौंदते देखा था. इस मामले की जांच सुबहानी ने की थी और पुलिस को क्लिन चिट दे दिया था जिसके बाद सुबहानी की कड़ी आलोचना हुई थी. कई लोगों ने इस घटना के बाद तो यहां तक टिप्पणी की थी कि सुबहानी अपने पद की रक्षा और सरकार की नजरों में वफादार बने रहने के लिए अपनी आत्मा की आवाज भी नहीं सुनते.
लालू-राबड़ी राज में आमिर सुबहानी काफी दिनों तक शंट रखे गये पर नीतीश की सरकार जब 2005 में बनी तो आमिर उन नौकरशाहों की कतार में शामिल पाये गये जिनको प्रभावी पदों से नवाजा गया.
सुबहानी बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और उनका गृहप्रदेश भी बिहार है.