भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी के जनता दरबार में आज हम सत्ता बदलने के बाद पहली बार गये थे। पिछली बार जब हम गये थे तो भूतपूर्व उपमुख्यमंत्री थे और आज उपमुख्यमंत्री। प्रशासनिक कारवां और काफिला यथावत। बैठक की व्यवस्था भी पहले जैसी। पदनाम के अलावा लगभग सब कुछ पूर्ववत। ओबी वैन की संख्या जरूर बढ़ी हुई थी। नाश्ता का पैकेट कम पड़ गया था, इसका मतलब यह भी है पत्रकार भी बढ़े हुए थे।
सरकार बदली है, मोदी का दरबार नहीं
वीरेंद्र यादव
हम करीब तीन बजे पोलो रोड स्थित उनके आवास में बने सभागार में पहुंचे। दरबार था, लेकिन जनता नजर नहीं आयी। संभव है तब तक मुलाकात कर लोग लौट गये हों। सुशील मोदी लगभग 25 मिनट तक प्रेस वार्ता में कालाधन के साथ ‘लालूधन’ का रिश्ता जोड़ते रहे। 8 नवंबर को नोटबंदी की वर्षगांठ है। इस मौके पर उन्होंने भाजपा द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम पर भी ‘लालू का लेप’ लगाया। मोदी अपने जनता दरबार में अगल-बगल में पार्टी के दो जातीय छवि वाले नेताओं को बैठाकर रखते हैं। इसका मकसद आप जातीय समीकरण से भी निकाल सकते हैं। आज दायीं ओर भूमिहार देवेश कुमार और बायीं ओर यादव नवल किशोर बैठे हुए थे। कुर्मी का प्रतिनिधित्व के लिए पूर्व डीजीपी थे।
सत्ता बदलने के बाद भी सुशील मोदी के जनता दरबार में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मुद्दे जरूर बदल गये हैं। भाजपा जब सत्ता से बाहर थी तब भी सुशील मोदी नीतीश कुमार पर सीधा प्रहार नहीं करते थे और लालू की आड़ में नीतीश पर हमला करते हुए दिखते थे। अब नीतीश के साथ हो लिये हैं तो मुद्दों में सिर्फ लालू और कुछ नहीं।