विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार ने अब पलटी मार दी है। सरकार ने न्यायालय को बताया कि इन लोगों का नाम बताना संभव नहीं है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जिन देशों के साथ भारत के दोहरे कराधान से बचाव के समझौते हैं, उनके यहां से कालेधन के बारे में प्राप्त सारी सूचनाओं का खुलासा नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने एक अर्जी में कहा है कि अन्य देशों ने ऐसी सूचनाओं का खुलासा किये जाने पर आपत्ति की है। यदि ऐसे विवरण का खुलासा किया गया तो कोई अन्य देश भारत के साथ ऐसा समझौता नहीं करेगा। प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मसले का उल्लेख करते हुए इस पर यथाशीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।
जी न्यूज की खबर के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने केंद्र सरकार के इस रवैये का जोरदार प्रतिवाद किया और कहा कि इस मामले की सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। जेठमलानी की ही जनहित याचिका पर न्यायालय ने विशेष जांच दल का गठन किया था। जेठमलानी ने कहा कि इस मसले पर एक दिन भी विचार नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह की अर्जी तो सरकार की ओर से नहीं बल्कि अभियुक्तों की ओर से दायर की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों को सरकार बचाने का प्रयास कर रही है।
जेठमलानी ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है और उनके जवाब का इंतजार है। शीर्ष अदालत ने जेठमलानी की याचिका पर ही काले धन का पता लगाने के लिये पूर्व न्यायाधीश एम बी शाह की अध्यक्षता में विशेष जांच दल गठित किया था। न्यायालय ने देश और विदेश में जमा काले धन से संबंधित सारे मामलों की जांच को दिशानिर्देश और निर्देश देने के लिए न्यायमूर्ति अरिजित पसायत को इस समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त कर रखा है।