सीमाचंल का प्रमुख लोकसभा क्षेत्र किशनगंज की सभी छह विधान सभा सीटों से निर्वाचित विधायक मुसलमान ही हैं। माना जाता है कि राज्य में मुसलमानों की सर्वाधिक आबादी किशनगंज में है और चुनाव परिणाम वही तय करते हैं। यहां से निर्वाचित सभी सांसद मुसलमान ही होते रहे हैं। किशनगंज का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के टिकट पर पत्रकार एमजे अकबर और भाजपा के टिकट पर सैयद शाहनवाज हुसैन कर चुके हैं। किशनगंज के सांसद के रूप में शाहनवाज केंद्र में मंत्री रहे और कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेवारी भी संभाली।
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वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 22
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सांसद — असरारुल हक — कांग्रेस — मुसलमान
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
बहादुरगंज — तौसिफ आलम — कांग्रेस — सूरजापुरी मुसलमान
ठाकुरगंज — नौशाद आलम — जदयू — सूरजापुरी मुसलमान
किशनगंज — मो. जावेद — कांग्रेस — सूरजापुरी मुसलमान
कोचाधामन — मुजाहिद आलम — जदयू — सूरजापुरी मुसलमान
अमौर — अब्दुल जलीज मस्तान — कांग्रेस — सूरजापुरी मुसलमान
बायसी — अब्दुल सुबहान — राजद — सूरजापुरी मुसलमान
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2014 में वोट का गणित
असरारुल हक — कांग्रेस — मुसलमान — 493461 (54 प्रतिशत)
अख्तरुल ईमान — जदयू — मुसलमान —55822 (6 प्रतिशत)
दिलीप जयसवाल — भाजपा — बनिया — 298849 (33 प्रतिशत)
सामाजिक बनावट
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सीमाचंल की सामाजिक बनावट में मुसलमानों की सबसे ज्यादा आबादी है। मुसलमानों की एक जाति सूरजापुरी है। यह जाति सीमांचल में पायी जाती है और सूरजापुरी की सबसे ज्यादा आबादी किशनगंज जिले में ही है। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले सभी छह विधायक सूरजापुरी मुसलमान ही हैं। इसके बाद अन्य जातियों के मुसलमान हैं। इसमें पसमांदा की भी काफी आबादी है। अगड़ी जाति के मुसलमान भी हैं। सवर्ण जातियों की आबादी काफी कम बतायी जाती है। पिछड़ों में यादव की आबादी सबसे ज्यादा है। सीमांचल में अतिपिछड़ों की आबादी भी काफी है। साहित्यकार फणिश्वरनाथ रेणु ने अपने उपन्यास और कहानियों में सीमांचल के जातीय संघर्ष, सामाजिक बनावट और बसावट को बेहतर ढंग से व्याख्या की है।
कौन-कौन हैं दावेदार
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सीमांचल की इस सीट पर मो. तस्लीमुद्दीन तीन पर बार निर्वाचित हुए थे। इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस के असरारुल हक सांसद हैं और वे दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। महागठबंधन में फिर वे निर्विवाद रूप से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। सवाल यह है कि इस सीट पर एनडीए का कौन उम्मीदवार होगा। शाहनवाज हुसैन की नजर भागलपुर सीट पर लगी हुई है। वे भागलपुर से दो बार निर्वाचित हो चुके हैं। इस सीट से बक्सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे भी किस्मत आजमाना चाहते हैं। इस बार वे भागलुपर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वैसी स्थित में शाहनवाज हुसैन को नयी सीट के रूप में किशनगंज चुनना पड़ सकता है। वे इस सीट से 1999 में निर्वाचित भी हुए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान उम्मीदवार थे, जबकि भाजपा की ओर से दिलीप जयसवाल उम्मीदवार बने थे। एनडीए में जदयू की रुचि इस सीट पर नहीं रहेगी। हालांकि भाजपा भी काफी उत्साहित नहीं है। लेकिन भाजपा एक बार इस सीट पर निर्वाचित हो चुकी है और उसके पास शाहनवाज हुसैन के रूप में उम्मीदवार हैं। अत: संभव है कि यह सीट भाजपा के कोटे में जाए। यदि शाहनवाज हुसैन भागलपुर से एडजस्ट हो गये तो दिलीप जयसवाल भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं।