दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती के मामले में क्या दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के हाथों में खेल रही है? सवाल कई हैं, जिसका जवाब दिया जाना चाहिए.
नदीम एस अख्तर
मसलन, जब भारती रास्ते में मिली पीसीआर वैन के पुलिसकर्मियों को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां जो कुछ भी हुआ, उसकी पूरी जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की बनती है. सबकुछ दिल्ली पुलिस की मौजूदगी और आंखों के सामने हुआ. सोमनाथ भारती का तो यहां तक आरोप है कि दिल्ली पुलिस वहां से भाग खड़ी हुई. मतलब कि सब कुछ भीड़ के हवाले कर वहां से खिसक गई. अगर ऐसा है तो दिल्ली पुलिस को इसका जवाब देना चाहिए.
युगांडा की महिलाओं का मामला
अगर युगांडा की महिलाओं के साथ बदतमीजी हुई, उन्हें जबरन मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल ले जाया गया और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स की अनदेखी हुई तो मौके पर मौजूद दिल्ली पुलिस के अफसर क्या कर रहे थे? उन्होंने इसे क्यों नहीं रोका? अपने आला पुलिस अफसरों से बात क्यों नहीं की?
टीवी कैमरों की फुटेज से तो पता चलता है कि मौके पर खुद एसीपी रैंक का अफसर मौजूद था, जिससे भारती की कहासुनी हो रही थी? तो फिर वह अफसर क्या कर रहे थे? और अगर भारती के आरोपों में दम है कि पुलिस सब कुछ छोड़कर वहां से चली गई, तो फिर दिल्ली पुलिस के उन अफसर महोदय और स्थानीय एसएचओ से यह पूछा जाना चाहिए कि आप लोगों की आंखों के सामने कानून की धज्जियां कैसे और क्यों उड़ी ?(अगर धज्जियां उड़ी हों तो जैसा कि सोमनाथ भारती पर आरोप लगाया जा रहा है) आपने तत्काल कोई एक्शन क्यों नहीं लिया!
यह विश्वास करने लायक बात नहीं है कि एसओचओ और उनसे भी बड़े रैंक के पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद हों, फिर भी आरोपी महिला के साथ दुर्व्यवहार हो जाए। और अगर ऐसा हुआ है तो मामला इन पुलिस अफसरों के खिलाफ बनता है. मौके पर कानून का राज स्थापित करने की जिम्मेदारी पुलिस की थी. टीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि दिल्ली पुलिस के आला अफसर सोमनाथ भारती से बहस करते हुए कह रहे हैं कि मंत्री जी, हमें कानून मत सिखाइए. तो फिर उनकी आंखों के सामने और उनकी पूरी जानकारी में ये सब कैसे घटित हो गया?
कानून का मजाक कैसे उड़ाया गया? युगांडा की महिलाओं के साथ बदतमीजी कैसे हो गई? ये सब होता रहा और पुलिस तमाशबीन बनी क्यों देखती रही? इसका जवाब दिल्ली पुलिस से मांगा जाना चाहिए.
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