बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज ग्रामीण बैंकों के चैयरमैन व अन्य वरीय अधिकारियों के साथ बैठक के बाद किसानों से ससमय ऋण वापसी की अपील की. उन्होंने कहा कि समय से ऋण वापसी नहीं करने के कारण 90 प्रतिशत किसानों को भारत सरकार द्वारा 3 और राज्य सरकार द्वारा देय 1 प्रतिशत यानी कुल 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ नहीं मिल पाता है. इसलिए उन्हें 11 से 12 प्रतिशत तक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है.
नौकरशाही डेस्क
वहीं, उन्होंने बैठक के दौरान इस साल ग्रामीण बैंकों (बिहार, मध्य बिहार और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक) के जरिए सूबे के किसानों को 22,920 करोड़ रुपये का ऋण वितरित करने की बात कही. साथ ही उपमुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जिलों में शौचालय निर्माण के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रति इकाई 12 हजार रुपये और नियोजित शिक्षकों को वेतन के आधार पर डेढ़ से दो लाख रुपये व्यक्तिगत ऋण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंकों की ओर से कुल वितरित किए जाने वाले ऋण का 65 प्रतिशत किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को दिया जाता है. बैंक केसीसी धारक किसानों को रुपे कार्ड (एटीएम) उपलब्ध कराता है, मगर मात्र 10 से 15 प्रतिशत किसान ही उसका उपयोग करते हैं. उन्होंने बैंकों को मुद्रा लोन के अन्तर्गत लोगों को 50 हजार से 5 लाख तक कर्ज देने का निर्देश दिया, क्योंकि आमतौर पर बैंक इस स्कीम के तहत 50 हजार का ही कर्ज देते हैं. जिससे किसी व्यापार-धंधा को प्रारंभ करना और चलाना संभव नहीं है. प्रदेश में तीनों ग्रामीण बैंक अपनी की 2,110 शाखाओं और 5,555 बैंक मित्रों (बिजनेस कोरस्पोंडेंट) के जरिए ग्रामीणों को बैंकिंग सेवा उपलब्ध करा रहे हैं.