ज्ञानेश्वर तथ्यों की बारीकी को मजबूती से पकड़ने में माहिर हैं. यहां पढिये कि उन्होंने एक छात्रा पूनम खातून और मुख्यमंत्री की पलभर की मुलाकात की बारीकियों को किस अंदाज में पेश किया है.
ऐसी मुठभेड़ तो नीतीश कुमार ने कभी सोची न होगी । बड़े और धुर विरोधी राजनीतिक धाकड़ भी इस कदर दो टूक नहीं हो सकते । लेकिन पूनम खातून का कहना ही क्या । मासूमियत और सधे सवाल की खातिर सलाम कर रहा हूं पूनम को । स्वयं नीतीश कुमार भी निरुत्तर हो गये । बस मुस्कुराते रहे । जबर्दस्ती नहीं,मन से । कहना पड़ा कि जरुर देखेंगे ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को पटना के ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट में पुस्तक विमोचन के समारोह में गये थे । तय कार्यक्रम के अनुसार कुछ छात्राओं को गुलदस्तां देकर नीतीश कुमार का अभिनंदन करना था । लेकिन अरविन्द महिला कालेज की छात्रा पूनम खातून ने इस मौके को बस औपचारिकताओं में नहीं जाने दिया । खूब तैयारी कर आई थी ।
गुलदस्ता दिया,फिर सीघे मुद्दे पर आ गई । कहा,जानती हूं आप मुझे नहीं पहचान रहे होंगे । लेकिन ऐसे भूल भी कैसे सकते हैं । सुनकर नीतीश कुमार अवाक् । वह बोले जा रही थी । देखिये,आपके साथ यह फोटो है मेरी । तब मैं छोटी थी । आप फारबिसगंज आाये थे । 2010 की यात्रा का स्मरण कराया पूनम ने । मैं कस्तूरबा बालिका स्कूल में पढ़ती थी । आप बोलकर गये थे कि स्कूल को प्लस टू कर देंगे,लेकिन अभी तक हुआ नहीं । आखिर क्यूं ?
पूनम की मासूमियत और बेबाकी से हतप्रभ नीतीश कुमार ने कहा कि पता कराता हूं । वह कुछ आगे बोलती,इसके पहले उन्हें कहना पड़ा कि कि सारे सवाल यहीं पूछ लोगी क्या । पूनम अब भी शांत नहीं हुई । कहा कि ठीक है । चलिये,आप मेरी पुरानी तस्वीर पर आटोग्राफ दे दें । आगे भूलेंगे,तो याद कराने में सहूलियत होगी । कहे अनुसार मुख्यमंत्री ने आटोग्राफ दिया । इसके बाद पूनम ने अपनी डायरी बढ़ाई और इस पर भी कुछ लिखने को कहा । नीतीश कुमार ने लिखा भी ।
पूनम की बेबाकी नीतीश कुमार के लिए अकस्मात् चौंकाने वाला,लेकिन सुखद अनुभव था । वे इससे खुश थे कि बिहार की बेटियां हक के लिए सीधा सवाल करने का साहस तो जुटाने लगीं हैं । वैसे भी पूनम का सवाल व्यक्तिगत नहीं,बल्कि समाज के भले के लिए था । खबर है कि समारोह से लौटते ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई को आवश्यक दिशानिर्देश दिये हैं ।
अदर्स वॉयस कॉलम के तहत हम अन्य मीडिया की स्टोरी छापते हैं. यह स्टोरी हमने ज्ञानेश्वर के फेसबुल वॉल से लिया है
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