बिहार के नालंदा में एक महिला ने बेटे होने की मन्नत में इस्लामी झंडा क्या लगाया कुछ बिहारी मीडिया ने गुरुवार को इसे पाकिस्तानी झंडा प्रचारित कर आग लगाने का कुकर्म कर दिया.
फिर क्या था नालंदा के एसपी को इस मामले में कार्रवाई करने पर बाध्य होना पड़ा. कुछ लोकल चैनलों और बड़े अखबारों के न्यूज पोर्टल्स ने इस मामले को इस सनसनीखेज तरीके से पेश किया कि पुलिस नालंदा जिले में बिहारशरीफ शहर के वार्ड नंबर 36 के खरादी मुहल्ले में बुधवार की देर शाम अनवारुल हक के घर पहुंची. उन्होंने जो बात नौकरशाही डाट कॉम को बतायी वह मीडिया की आगलगाऊ मानसिकता का पोल खोल देती है.
नालंद के एसपी ने नौकरशाही डॉट कॉम से कहा- ‘हम जब उस घर पर पहुंचे तो देखा कि जो झंडा लगा है उसमें चांद उलटा है, जबकि पाकिस्तानी झंडा में चांद सीधा होता है. उस महिला( अनवारुल हक की पत्नी शबाना) ने हमें बताया कि वह 2009 से मुहर्रम का ( इस्लामी) झंडा हर साल ईद बीतने के बाद अपनी छत पर लगाती है और मुहर्रम की सातवीं तारीख को उतार देती है. उसे कई सालों तक बेटा नहीं हुआ तो एक मौलाना ने ऐसा करने को कहा था’. एसपी ने हमें यह भी बताया कि उन्होंने इस झंडे को बनाने वाले को हिरासत में लिया है वह गूंगा और बहरा है. एसपी ने कहा कि हर बार इस घर पर हरे रंग का इस्लामी झंडा लगाया जाता था लेकिन इस बार झंडा फट गया था तो शाकेब अनवर( गूंगे दर्जी) ने इसमें सफेद कपड़ा जोड़ दिया था.
सोचने की बात है कि एक गूंग-बहरे दर्जी का बौद्धिक स्तर क्या हो सकता है. क्या उसने जानबूझ कर हर झंडे में सफेद कपड़ा जोड़ा ताकि यह पाकिस्तानी झंडा दिखने लगे? और फिर क्या चांद के लोकेशन से पता नहीं चलता कि झंड़ा किस मकसद से बनाया गया होगा? अगर पत्रकारिता में विवेक और जानकारी को नजर दरकिनार कर दिया जाये तो ऐसी ही पत्रकारिता होगी.
लेकिन हद तो तब हो गयी जब बिहार के कुछ चैनलों और न्यूज पोर्टल्स ने उस महिला की भलमानसाहत और बेटे के जन्म से जुड़ी मजहबी आस्था को देशद्रोह का लबादा पहना दिया. यह ध्यान में रखने की बात है कि इस्लामी झंडे में भी चांद तारा होता है.
इस मामले में नालंदा के एसप ने हमें बताया कि यह झंडा पाकिस्तान का नहीं है लेकिन हमने प्रथम दृष्ट्या इस मामले में पाया है कि यह पाकिस्तानी झंडा से मेल खाता है इसलिए हमने शबाना के ऊपर एफआईआर दर्ज कर उन्हें हिरासत में ले लिया है.
इससे पहले भी इस तरह का एक मामला पटना में आया था जब पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने की अफाहबाजी बिहार के मीडिया के एक हिस्से ने की थी. ऐसी गैरजिम्मेदार पत्रकारिता देश और समाज को जला डालने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है. लेकिन बिहार की जनता अमनपसंदी से काम लेती है और मीडिया के एक हिस्से द्वारा किये जा रहे षडयंत्र को खूब समझती है.
वाह रे मियाँ इर्सादुल अपना बात आता गई तो समाचार को तोर कर दोगला मिडिया जैसा लिखता है। कौन क्या लगाया इसका ठेका लिया है तुमने। झंडा कहीं से फट नहीं दीखता है। ढेर सारा वीडियो भी सामने आया है। मियां मियाँ का सपोर्ट करात है इर्सादुल।
दलील अच्छि है आपकी। लेकिन एक चीज बताइये जितना सफेद टुकड़ा इस झंडे में लगा है वो पाकिस्तानी झंडे से कम या ज्यादा क्यों नहीं.
इस वेब्सिटेंक संपादक इर्सादुल है जो मुस्लिम है। वाह रे मियाँ इर्सादुल अपना बात आता गई तो समाचार को तोर कर दोगला मिडिया जैसा लिखता है। कौन क्या लगाया इसका ठेका लिया है तुमने। झंडा कहीं से फट नहीं दीखता है। ढेर सारा वीडियो भी सामने आया है। मियां मियाँ का सपोर्ट करात है इर्सादुल।
दलील अच्छि है आपकी। लेकिन एक चीज बताइये जितना सफेद टुकड़ा इस झंडे में लगा है वो पाकिस्तानी झंडे से कम या ज्यादा क्यों नहीं.
नौकरशाही.इन वाले आप बचाव तो अच्छा करते हो लेकिन इस्लामी और पाकिस्तानी झंडे में कुछ अंतर भी होता होगा वो तो बता देते।