विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और पूर्व मंत्री सह विधायक श्याम रजक का ‘वंचित बोध’ जग गया है। दोनों ने कल दलित व वंचितों के हक की लड़ार्इ लड़ने का संकल्प लिया था। आज दोनों ही सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर आयोजित राजकीय समारोह में वीआईपी कुर्सी से बेदखल कर दिये।
वीरेंद्र यादव
सरदार वल्लभ पटेल के जयंती समारोह में श्याम रजक और उदय नारायण चौधर बारी-बारी से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उदय नारायण चौधरी पहली और श्याम रजक दूसरी पंक्ति की वीआईपी कुर्सियों बैठे थे। लेकिन वीआईपी होने का उनका भ्रम जल्दी ही टूट गया। सुरक्षाकर्मियों ने दोनों से बिना तौली वाली कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया और दोनों कुर्सी छोड़कर दूसरी ओर बैठ गये। उनके साथ विधायक संजीव चौरसिया भी बैठे हुए थे।
थोड़ी देर बाद सड़क निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव पहुंचे। वह वीआईपी के लिए आरक्षित कुर्सी पर बैठे। शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा भी झकास तौली वाली कुर्सी पर बैठे थे। इस बीच मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। वे भी राज्यपाल के लिए निर्धारित कुर्सी छोड़कर बैठ गये। पहली पंक्ति में किनारे की दोनों वीआईपी कुर्सियां खाली थीं। नंद किशोर यादव की नजर श्याम रजक पर पड़ी। उन्होंने श्याम रजक को बैठने के लिए बुलाया, लेकिन श्याम वहां जाने को तैयार नहीं थे। लेकिन श्री यादव के आग्रह पर वे उनके बगल वाली कुर्सी पर बैठ गये। इसके बाद श्री यादव ने दूसरी खाली पर कुर्सी पर बैठने के लिए उदय नारायण चौधरी को बुलाया। वह भी झेंपते हुए कृष्णनंदन वर्मा के बगल वाली वीआईपी कुर्सी पर बैठ गये।
थोड़ी देर बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी पहुंचे। उनके पहुंचने के बाद मार्ल्यापण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। मार्ल्यापण के बाद फिर सभी अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठे। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार श्याम रजक और उदय नारायध चौधरी से भी बातचीत की। बातचीत का विषय भी ‘वंचित वेदना’ ही था।