राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आज दो दिन से पक रही खीर पॉलिटिक्‍स का जायका ही बदल दिया. उन्‍होंने कहा कि मैं सामाजिक एकता के बारे में बात कर रहा था. किसी भी राजनीतिक दल के साथ किसी भी जाति समुदाय की पहचान न करें. हालांकि इस खीर के बनने से पहले राजद नेता तेजस्‍वी यादव स्‍वाद का अनुमान लगा लिया था, जिसके बाद कुशवाहा को आकर जायका में बदलाव करना पड़ा.

नौकरशाही डेस्‍क

दरअसल, शनिवार को बीपी मंडल की 100वीं जयंती के मौके पर उपेंद्र कुशवाहा ने सामाजिक न्‍याय को परिभाषित करते हुए कहा था कि यदुवंशी का दूध और कुशवंशी का चावल मिल जाये तो उत्तम खीर बन सकती है. यहां काफी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं. यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाये तो खीर बनने में देर नहीं लगेगी. लेकिन, यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जाति और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा.

कुशवाहा के इस बयान ने सूबे में सियासी तूफान ला दिया था. बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी ने उपेंद्र कुशवाहा के स्वादिष्ट खीर भोज का स्वागत किया है. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा था, “नि:संदेह उपेंद्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है. पंचमेवा के स्वास्थवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी उर्जा देता है. प्रेमभाव से बनायी गयी खीर में पौष्टकिता स्वाद और उर्जा की भरपूर मात्रा होती है. यह एक अच्छा व्यंजन है.”

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427