पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय की छह से ज्यादा राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं बिहार में भूमि उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण क्रियान्वित नहीं हो पा रही है।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षों से केन्द्र के बार-बार अनुरोध के बावजूद राज्य सरकार अब तक जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है। एक ओर जहां राज्य का कृषि रोड मैप सभी मानकों पर बुरी तरह फेल हो गया है, वहीं दूसरी ओर बिहार में कृषि प्रक्षेत्र के विकास के लिए तत्पर केन्द्र को राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है। भाजपा नेता ने कहा कि केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई की ओर से 19 जनवरी, 2015 को बिहार में मत्स्य शोध एवं प्रशिक्षण केन्द्र तथा केन्द्रीय अंतस्र्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर की ओर से 16 जून, 23 जुलाई और 17 सितम्बर 2014 को पत्र लिख कर क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने के लिए मुजफ्फरपुर या उसके आस पास के इलाके में 25-25 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की बिहार सरकार से मांग की गई थी ।
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की स्थिति में 01 जुलाई 2015 को इन दोनों संस्थानों को जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अलग-अलग पत्र लिखा लेकिन अबतक बिहार सरकार जमीन देने में विफल रही है। श्री मोदी ने कहा कि इसी प्रकार राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल की ओर से भी 20 जनवरी 2015 को पत्र लिख कर बिहार में संस्थान की क्षेत्रीय इकाई स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की मांग की गई थी लेकिन एक साल बाद भी राज्य सरकार जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में बिहार में कृषि प्रक्षेत्र के विकास के लिए छह कृषि विज्ञान केन्द्र, चार कृषि महाविद्यालय और लीची अनुसंधान केन्द्र समेत अनेक संस्थानों की स्थापना की पहल की है।