दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली प्रचंड जीत और भारतीय जनता पार्टी की करारी हार से यह प्रश्न चर्चा का विषय बन गया है कि क्या देश की राजनीति के लिये यह टर्निंग प्वाइंट साबित होगा।
आप और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने इन चुनावों में न केवल मोदी का विजय रथ रोक दिया, बल्कि पिछले एक वर्ष से देश भर में सुनायी दे रहा ‘मोदी मोदी’ का नारा आज सुनायी नहीं दिया और यह धारणा भी कुंद पड़ती नजर आयी कि श्री मोदी ने अपने कुशल नेतृत्व से भाजपा को अजेय बना दिया है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि दिल्ली के चुनाव परिणाम का देश की राजनीति पर निश्चित रुप से असर पडे़गा और आने वाले समय में नये राजनीतिक समीकरण सामने आ सकते हैं।
बिहार पर भी पड़ेगा असर
दिल्ली के बाद अब बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जहां लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पहले ही साथ आ चुके हैं। जनता परिवार को एकजुट करने की पिछले कुछ समय से चल रही प्रक्रिया में अब तेजी आ सकती है। दिल्ली चुनावों में जनता दल यू, जनता दल एस, तृणमूल कांग्रेस और वाल दलों ने आप को समर्थन दिया था और उसे मिली जीत पर खुशी भी जतायी थी। दिल्ली में भाजपा की हार से विपक्षी दल उस पर और आक्रामक हो सकते हैं, जिसका असर आज ही दिखायी देने लगा है। कांग्रेस को छोडकर अन्य दलों ने दिल्ली में भाजपा की हार को ‘मोदी के अहंकार’ की हार बताया है। विपक्ष के आक्रामक होने का असर दो सप्ताह बाद शुरु हो रहे संसद के बजट सत्र में दिखायी दे सकता है।
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