उच्चतम न्यायालय ने देश के 1125 केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में छात्रों द्वारा सुबह की सभा में संस्कृत और हिंदी में की जाने वाली प्रार्थना की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से आज जवाब तलब किया।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने विनायक सिंह की याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया। शीर्ष अदालत ने नोटिस के जवाब के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। न्यायालय ने पूछा है कि क्या केंद्रीय विद्यालयों में सुबह के वक्त होने वाली संस्कृत और हिन्दी की प्रार्थना असंवैधानिक है? न्यायालय ने इसे गंभीर संवैधानिक मुद्दा करार देते हुए कहा कि कि इस पर विचार जरूरी है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी-संस्कृत में सुबह की प्रार्थना हो रही है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ बताते हुए कहा है कि इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
उनकी दलील है कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। न्यायालय ने इसपर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार और केवीएस से यह भी पूछा है कि क्या हिंदी और संस्कृत में होने वाली प्रार्थना से किसी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा मिल रहा है। उसने पूछा है कि स्कूलों में सर्वधर्म प्रार्थना क्यों नहीं कराई जा सकती?