जद यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं कि जिन जादुई नारों, कोरे करिश्मों, मनमोहक वादों के बूते भाजपा केंद्र में सत्ता में आयी थी अब उसी फार्मुले को यूपी में दोहराना चाह रही है पर उसे मालून नहीं कि काला धन, रोजगार और बड़े सपने के उसके वादे धरासाई हो चुके हैं इसलिए वहां में उसकी दाल नहीं गलने वाली.
केंद्र में भाजपा के सरकार बने हुए दो साल से ऊपर हो चुके हैं। अब सरकार के पास लगभग ढाई साल का कार्यकाल और शेष बचा हुआ है। बीते दो सालों की उपलब्धियाँ कौन कौन सी रही?यह देश की जनता को बताया नहीं गया। सरकार हर मोर्चे पर अपनी असफलता पेश करती रही और जनता गलत नीतियों के कारण परेशान होती रही।
फेसबुक पर लिखे एक लेख में जद यू के प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा कि मंहगाई आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। देश के करोड़ों युवा आस लगाए बैठे रहे कि शायद अब ‘अच्छे दिन आएंगे’। लेकिन युवाओं को यह दिन नसीब नहीं हुआ है।मंहगाई अपने चरम पर है। सरकार के मंत्री इसे रोक सकने में विफल हैं । अच्छे दिन के नारे,भारी ताम झाम के बीच झूमने वाली सरकार के होश पस्त हैं। जनता नेतृत्व परिवर्तन के लिए चुनाव के दिनों का इंतजार करने लगी है।
माल्या और ललित मोदी ले भागे हजारों करोड़
काले धन,भ्रष्टाचार,स्वच्छता-अभियान आदि संदर्भों पर सरकार बच रही है। हजारों करोड़ रुपए लेकर विजय माल्या और ललित मोदी जैसे लोग देश से बाहर भाग गए हैं। शिक्षा,स्वास्थ्य जैसे विभागों का निजीकरण लगातार किया जा रहा है।सरकार चुप है।
मेजिक-मैनेजमेंट,उन्मादी नारे,लुभावने वायदे,थ्री डाइमेन्सनल प्रचार प्रसार के जरिये भाजपा फिर से एक बार उत्तरप्रदेश में उतरने की तैयारी में है। धार्मिक ध्रुवीकरण व सांप्रदायिकता के संदर्भों को हवा देकर भाजपा अपनी पुरानी व अव्यावहारिक राजनीतिक शैली का शोधन चाहती है। वह अपने लिए नए स्पेस की तलाश में नापाक समझौते की ओर भी बढ़ रही है।दिल्ली,बिहार,बंगाल जैसे राज्यों में भारी हार के बाद अब फिर से भाजपा उत्तर प्रदेश में है। देखना यह दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश की जनता से भाजपा क्या क्या वादा करती है?
यूपी में जद यू के हस्तक्षेप से भाजपा को परेशानी
उत्तरप्रदेश के चुनाव के ठीक पहले कैराना का संदर्भ,मंदिर निर्माण का हुंकार,उन्मादी भाषण सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खोखला प्रयास भर है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जनता दल,यू के बढ़ते हस्तक्षेप व भागीदारी से भाजपा के भीतर परेशानी है और कहीं अंदर हड़कंप भी है। पिछले दिनों नीतीश जी ने उत्तर प्रदेश में कई सभाएं की हैं। वहाँ की जनता की भागीदारी को देखते हुए यह तो साफ तौर पर स्पष्ट है कि जनता कुछ नया चाह रही है। वह दंगों के सच और मंदिर निर्माण के मुद्दे को भी समझ चुकी है। वह भाजपा के हिंसक उद्देश्य को भी जान चुकी है।
भाजपा की हिंसक कोशिश बेनकाब
उत्तर प्रदेश की जनता शराबबंदी की मांग कर रही है। सभ्य समाज में इसका प्रचलन ठीक भी नहीं है। हम शराबबंदी जैसे अहम मुद्दों के साथ सभाएं कर रहे हैं । हम पूरी तटस्थता के साथ इस मुहिम को जनांदोलन की शक्ल में गढ़ेंगे और इसके लिए हम तैयार भी हो चुके हैं। हम भाजपा की हर हिंसक कोशिश को बेनकाब करते हुए शराबबंदी के मुद्दे आगे लाएँगे। यह जन अभिरुचि का विषय है,इसे किसी भी शर्त पर हम पीछे नहीं होने देंगे।