केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मुसलमानों के बीच तीन तलाक प्रथा का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है.
केंद्र ने तीन तलाक की प्रथा का विरोध करते हुए कहा है कि 65 वर्षों से मुस्लिम समुदाय में सुधार न होने की वजह से महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर व असुरक्षित बना दिया है। सरकार का कहना है कि वह इस पक्ष में है कि सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक और बहुविवाह के चलन को समाप्त करे.
इस्लामिक राष्ट्रों में पर्सनल लॉ में काफी पहले किए गए बदलाव का संदर्भ देते हुए सरकार ने ईरान, इंडोनेशिया, तुर्की, ट्यूनीशिया, मोरक्को, अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान में विवाह के नियमों में किए गए बदलाव का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट के पांच सितंबर के आदेश का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा.
वहीं मुस्लिम पर्सन लॉ बोर्ड का कहना है कि तलाक और निकाह संबंधी कानून का निर्माण देश की संसद ने नहीं किया है इसलिए इसमें संशोधन का अधिकार न्यायालय को नहीं है.