पटना उच्च न्यायालय ने खान एवं भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव के. के. पाठक और अवर सचिव सुशील कुमार को शपथ पत्र के जरिये यह स्पष्ट करने को कहा है कि नयी लघु खनिज नीति के संबंध में किस परिस्थिति में दोनों अधिकारियों ने आदेश जारी किया जो अदालत के पिछले निर्देश के अनुरूप नहीं था।
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति ए. के. उपाध्याय की खंडपीठ ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि श्री पाठक और श्री कुमार का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो उनके खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवमानना का मामला चलाया जा सकता है। याचिका में कहा गया था कि दोनों अधिकारियों ने नयी लघु खनिज नीति पर अदालत की ओर से लगायी गयी रोक के बावजूद आदेश जारी किया है, जो अदालत की अवमानना है।
खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को 18 दिसम्बर से पहले शपथपत्र दायर कर यह बताने को कहा है कि उन्होंने किस परिस्थिति में न्यायालय के 27 नवम्बर और 04 दिसम्बर 2017 के निर्देश के प्रतिकूल आदेश पारित किया है। खंडपीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अदालत का लघु खनिज खनन के संबंध में जो पूर्व का आदेश है उसके अनुरूप खनन की गतिविधि चलते रहने दी जाये और इसमें यदि कोई बाधा उत्पन्न की जाती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेवार माना जायेगा। पटना उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन भुगतान में हुये विलंब को लेकर आज बिहार के सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों और रजिस्ट्रारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रारों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि विश्वविद्यालय के शिक्षण एवं गैर शिक्षण कर्मचारियों के पेंशन एवं सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ का ससमय भुगतान करने के लिए उन्होंने राज्य सरकार को सभी जरूरी दस्तावेज एवं सूचनाएं क्यों नहीं उपलब्ध कराई।
न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 04 जनवरी 2018 निर्धारित की है।