उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा चुनाव के दौरान कथित उत्तेजक बयान को लेकर उत्तर प्रदेश के अमेठी में मुकदमे का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज राहत प्रदान करते हुए उनके खिलाफ जारी पेशी वारंट पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक श्री केजरीवाल की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। साथ ही न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा जारी पेशी वारंट के तामील किये जाने पर रोक लगा दी।
उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें उसने पेशी वारंट पर रोक लगाने तथा मुकदमा निरस्त करने का अनुरोध किया था।
वकील चिराग श्रॉफ के जरिये दायर याचिका में श्री केजरीवाल ने निचली अदालत पर त्रुटिपूर्ण फैसला देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस मामले में निजी तौर पर आरोपी की मौजूदगी जरूरी नहीं थी। गौरतलब है कि निचली अदालत ने गत 20 जुलाई को श्री केजरीवाल के खिलाफ पेशी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहुंचे थे, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली थी, परिणामस्वरूप उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
पिछले वर्ष हुए आम चुनावों के दौरान अमेठी के औरंगाबाद गांव में कथित उत्तेजक भाषण को लेकर श्री केजरीवाल के खिलाफ मुसाफिरखाना पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था।